तीन लाख हेक्टेयर में तीन साल तक गन्ना उत्पादन को मिले बढ़ावा

Sugarcane production should be promoted in three lakh hectares for three years.

By Vinay Kumar | December 9, 2025 8:33 PM

गन्ना किसानों की समस्याओं पर संवाद का आयोजन उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर बिहार में नौ बंद चीनी मिलों को फिर से चालू करने सहित 25 नये चीनी मिलों को खोलने की सरकार की घोषणा का बिहार राज्य गन्ना किसान मोर्चा ने खुशी जतायी है. पताही में गन्ना किसानों की ज्वलंत समस्याओं और बिहार में किसानों की नगदी आमदनी बढ़ाने हेतु गन्ना उत्पादन और चीनी उद्योग का विकास के मुद्दे पर आयोजित कार्यक्रम में इस निर्धय को गन्ना उत्पादन के लिए बेहतर बताया. बैठक में चीनी मिल क्षेत्रों से गन्ना उत्पादक किसान पहुंचे थे. अध्यक्षता करते हुए बिहार राज्य गन्ना किसान मोर्चा के अध्यक्ष अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि सोना जैसा बेशकीमती धातु के रूप में गन्ना जो बहुपयोगी फसल है, इससे चीनी मिल, एथेनॉल, विद्युत, खाद, गत्ता, कागज व जलावन का उत्पादन होता है. इसका नाम शुगर फैक्ट्री से बदलकर शुगर कंपलेक्स किया जाना चाहिये. बढ़ती उत्पादन लागत के कारण गन्ना का मूल्य कम से कम 800 रु प्रति क्विंटल हो. कार्यक्रम का उदघाटन करते हुये गोरौल चीनी मिल मालिक भोलानाथ झा ने कहा कि शुगर कॉर्पोरेशन की गलत नीति और घोटाले के चलते बिहार में फलता-फूलता चीनी उद्योग तबाह हो गया. इसके लिए कमेटी गठित कर अविलंब जांच किया जाये. चीनी उद्योग की स्थापना और संभावित क्षेत्रों का अध्ययन करने की कमेटी में किसान प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाये. नये चीनी मिलों की स्थापना के साथ एथनॉल, विद्युत, खाद व कागज की फैक्ट्री खोली जाये. इसके लिए शुरुआत मोतिहारी, मोतीपुर, लोहट, रैयाम, सकरी, बनमनखी, सासामूसा, मढ़ौरा, समस्तीपुर,बारा-चकिया, चनपटिया और बिहटा से शुरू किया जाये. यदि 10 हजार टन की भी फैक्ट्री लगेगी तो 1.20 लाख टन गन्ना की रोजाना पेराई होगी. इसके लिए सर्वप्रथम तीन लाख हेक्टेयर में तीन साल तक गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष अभियान चलाना होगा. सुधा डेयरी के पूर्व चेयरमैन वीरेंद्र राय ने कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीति के कारण बी ग्रेड का गन्ना जूस से दूसरी बार भी चीनी बनाने के बदले एथनॉल बनाने का निर्देश देने के चलते देश में 60 लाख टन चीनी का उत्पादन घट गया है.वरुण कुमार झा ने कहा कि 14 दिनों में गन्ना का मूल्य किसानों को भुगतान हो. यार्ड में सोल्डिंग, सफाई, पीने का पानी, शेड, किसान भवन निर्माण, अलाव, रोशनी व सुरक्षा की व्यवस्था हो.

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