बज्जिका कला और शिक्षा में योगदान के लिए मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
Received Life Time Achievement Award
सीनेट हॉल में बज्जिका कला की पुन. खोज पर व्याख्यान का आयोजन उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में गुरुवार को बज्जिका कला की पुनः खोज पर व्याख्यान व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. यह व्याख्यान भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा एनआइएफटी को दिये गए शोध अनुदान के अंतर्गत चल रहे प्रोजेक्ट अनवीलिंग ऑफ बज्जिका आर्टिस्टिक ट्रेडिशन के तहत किया गया. उद्घाटन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीसी राय ने दीप जला कर किया. उन्होंने डॉ उज्ज्वल अंकुर व बज्जिका कलाकारों को उनकी गहन अध्ययनशीलता और इस लोककला के पुनर्जीवन के लिए किये जा रहे कार्यों के लिए बधाई दी. संचालन राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के लेदर डिजाइन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उज्ज्वल अंकुर ने किया. इस मौके पर स्मृतिशेष सच्चिदानंद चौधरी, स्मृतिशेष प्रो प्रणय कुमार के परिजनों और आनंद कुमार को बज्जिका संस्कृति, कला और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए कुलपति और डॉ उज्जवल अंकुर ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया. साथ ही विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों और संगठनों से आये युवा कलाकारों व विद्यार्थियों को बज्जिका कला पर आयोजित कार्यशाला में सहभागिता के लिए प्रशस्ति-पत्र भी प्रदान किया गया. यहां बारहमासा विषय पर आधारित बज्जिका चित्र प्रदर्शनी लगायी गयी थी, जिसमें अनेक बज्जिका कलाकारों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गयी. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कवि सम्मेलन में ज्वाला सांध्य पुष्प, मणिभूषण प्रसाद अकेला, अखौरी चंद्र शेखर, अवधेश तृषित, डा विद्या चौधरी, उदय नारायण सिंह, रामकिशोर सिंह चकवा, प्रीति सुमन,डाॅ भावना, हेमा सिंह, उषा किरण, साधना कृष्ण, प्रमोद नारायण मिश्र, अमिताभ कुमार सिन्हा ने काव्य पाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन गोपाल फलक ने किया.
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