बिहार विस चुनाव से ठीक पहले शुरू हुई अविश्वास की राजनीति, मुजफ्फरपुर नगर सरकार की बढ़ी बेचैनी

Bihar Politics: मुजफ्फरपुर अविश्वास प्रस्ताव की खबर अन्य नगर निकायों में हलचल मचा दी है. नाखुश चल रहे पार्षदों में भीतर ही भीतर एकजुटता बढ़ने लगी है, ताकि जरूरत पड़ने पर वे भी अपने नगर निगम, नगर परिषद या फिर नगर पंचायत के मुख्य व उप मुख्य पार्षदों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकें.

By Radheshyam Kushwaha | June 9, 2025 7:54 PM

देवेश कुमार/ Bihar Politics: मुजफ्फरपुर के साहेबगंज नगर परिषद में मुख्य पार्षद कलावती देवी और उप मुख्य पार्षद मो. अलाउद्दीन के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ने मुजफ्फरपुर के अन्य नगर निकायों में हलचल मचा दी है. इस घटनाक्रम से नाखुश चल रहे पार्षदों में भीतर ही भीतर एकजुटता बढ़ने लगी है, ताकि जरूरत पड़ने पर वे भी अपने नगर निगम, नगर परिषद या फिर नगर पंचायत के मुख्य व उप मुख्य पार्षदों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकें. यह स्थिति तब सामने आ रही है जब पहली बार मेयर, उप मेयर और नगर परिषद व नगर पंचायत के सभापति व उप सभापति का चुनाव सीधे जनता से 2022 के दिसंबर में हुआ था. उस समय यह माना जा रहा था कि अविश्वास प्रस्ताव का खेल खत्म हो गया है. लेकिन, साहेबगंज में जिस संशोधित नगर पालिका एक्ट के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, उससे कानूनी दांव-पेंच फिर से फंसते हुए नजर आ रहे हैं. यह घटनाक्रम मुजफ्फरपुर ही नहीं सूबे के नगर निकाय चुनावों में एक नया राजनीतिक मोड़ ला सकता है.

साहेबगंज में अविश्वास प्रस्ताव की टाइमलाइन

साहेबगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी रणधीर लाल ने बताया कि पार्षदों ने 03 जून को मुख्य और उप मुख्य पार्षद के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. नियमानुसार, मुख्य पार्षद के पास इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सात दिनों के अंदर बैठक बुलाने का अधिकार है. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो 10 जून (मंगलवार) को सात दिन की समय-सीमा पूरी होने के बाद कार्यपालक पदाधिकारी खुद 72 घंटों का समय देते हुए बैठक बुलाने की कार्रवाई करेंगे. इस दौरान विभागीय मार्गदर्शन भी लिया जायेगा.

अविश्वास प्रस्ताव पास होने पर बदलेगा चुनावी स्वरूप

अगर साहेबगंज में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है और मुख्य व उप मुख्य पार्षद अपनी कुर्सी गंवा देते हैं, तो शेष कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव होंगे. हालांकि, इस बार चुनाव पार्षदों द्वारा नहीं, बल्कि सीधे जनता द्वारा कराये जायेंगे. चुनाव आयोग द्वारा तिथि घोषित होने के बाद जनता ही मुख्य एवं उप मुख्य पार्षद का चुनाव करेगी.

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