रजाई में भी नहीं मिल रही गर्माहट: ठंड में हाथ-पैर ठंडे रहने से अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की कतार
Patients queue up at hospitals as hands
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर कड़ाके की ठंड में लोग सिर से पैर तक खुद को ऊनी कपड़ों और रजाई में ढक रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कई लोगों के हाथ और पैर घंटों बाद भी गर्म नहीं हो पा रहे हैं. इस समस्या से परेशान दर्जनों लोग इन दिनों सरकारी और निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. मरीजों की शिकायत है कि शरीर तो गर्म रहता है, लेकिन हाथ-पैर बर्फ जैसे ठंडे हो जाते हैं. वरीय फिजिशियन डॉ. एस. के. पांडे के अनुसार, ठंड के मौसम में शरीर अपने महत्वपूर्ण अंगों और मांसपेशियों को सुरक्षित रखने के लिए ब्लड वेसेल्स को संकुचित कर लेता है. इससे हाथ-पैर की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह सही तरीके से नहीं पहुंच पाता और वे ठंडे हो जाते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि केवल मौसम ही नहीं, बल्कि कुछ बीमारियां भी इस समस्या की वजह बन सकती हैं. इनमें एनीमिया, विटामिन बी12 की कमी, थायरॉइड की गड़बड़ी, डायबिटीज और रेनॉड सिंड्रोम प्रमुख हैं. खासकर डायबिटीज के मरीजों में हाई ब्लड शुगर के कारण रक्त संचार प्रभावित होता है और नसें कमजोर पड़ने लगती हैं, जिससे हाथ-पैर ठंडे रहते हैं. रेनॉड सिंड्रोम क्या है? रेनॉड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अधिक ठंड या मानसिक तनाव के कारण हाथ-पैर की उंगलियों की ब्लड वेसेल्स जरूरत से ज्यादा सिकुड़ जाती हैं. इससे उंगलियों में खून की आपूर्ति कम हो जाती है. नतीजतन हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगते हैं और कई बार उनका रंग नीला या सफेद हो जाता है. डॉक्टरों के अनुसार, यदि लंबे समय तक हाथ-पैर ठंडे रहने की समस्या बनी रहे, तो इसे सामान्य ठंड समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. समय पर जांच और इलाज से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है.
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