Muzaffarpur News: काशी विश्वनाथ के तर्ज पर बनेगा बाबा गरीबनाथ कॉरिडोर, नगर निगम बोर्ड से प्रस्ताव पारित

Muzaffarpur News: बनारस स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के तर्ज पर मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर का कॉरिडोर तैयार किया जाएगा. इसको लेकर नगर निगम बोर्ड में प्रस्ताव पारित किया गया है. अब इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. पढे़ं पूरी खबर…

By Aniket Kumar | March 2, 2025 8:13 AM

Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर को स्मार्ट और मेट्रो सिटी का सौगात मिलने के बाद अब बाबा गरीबनाथ मंदिर को बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने की मंजूरी मिल गई है. केंद्रीय राज्य मंत्री सह मुजफ्फरपुर के सांसद डॉ राजभूषण चौधरी की मौजूदगी में निगम बोर्ड से शनिवार को इसका प्रस्ताव पारित किया गया. राज्य सरकार के माध्यम से अब केंद्र सरकार को इस प्रस्ताव को भेज कर डीपीआर बनाने पर काम शुरू होगा. बाबा गरीबनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण साहू पोखर से जोड़ते हुए होगा. बाबा गरीबनाथ मंदिर और साहू पोखर दोनों बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अधीन आते हैं. मंदिर के विकास से मुजफ्फरपुर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. 

महापौर ने कॉरिडोर को लेकर क्या कहा?

इसको लेकर महापौर निर्मला साहू का कहना है कि मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार की अघोषित राजधानी है. श्रावण के महीने में लाखों श्रद्धालु पहलेजा घाट से जल भरकर बाबा गरीबनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए आते हैं. मंदिर के नए सिरे से निर्माण से आसपास के क्षेत्रों का विकास जरूरी है. मंदिर के पास ऐतिहासिक साहू पोखर है, जहां महादेव का पुराना मंदिर है. दोनों स्थलों को जोड़कर कॉरिडोर बनाने से मुजफ्फरपुर पर्यटकों के लिए एक बड़ा केंद्र बन जाएगा. डबल इंजन वाली राज्य और केंद्र सरकार इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध कराएगी. 

सफाई कर्मियों की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों को हटाया 

इसके साथ ही नगर निगम बोर्ड ने लगभग 1000 से अधिक सफाई कर्मियों की आपूर्ति करने वाली आउटसोर्सिंग एजेंसियों को हटाने का फैसला लिया है. बोर्ड ने उन्हीं एजेंसियों को हटाने का फैसला लिया है, जिसके ऊपर घोटाले करने का आरोप सिद्ध होने के बाद भी सशक्त स्थायी समिति के आदेश पर रखा गया था. फिर से एजेंसी के द्वारा गड़बड़ी करने की मिल रही शिकायत के बाद उसे हटाने का फैसला बोर्ड ने लिया है. हालांकि, एजेंसी को हटाने से पहले निगम व एजेंसी के बीच हुए एग्रीमेंट में कई ऐसे प्वाइंट हैं, जिसपर पेंच फंस सकता है.

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