नगर निगम की सियासत में ”किंगमेकर” की जंग, विधानसभा चुनाव से पहले पलटी मार पॉलिटिक्स का ट्रेलर
Lati Maar Politics Trailer
नगर निगम की राजनीति में नया मोड़, बागी पार्षदों के नरम तेवर से बढ़ी हलचल
बागी पार्षदों में आस्था रखने वाले पार्षदों का एक अलग गुट बना, राजनीतिक निष्ठा से ज्यादा व्यक्तिगत लाभ का दी जा रही तरजीह
देवेश कुमार, मुजफ्फरपुर
नगर निगम की राजनीति में अब ”किंगमेकर” विधायक या मंत्री नहीं, बल्कि खुद बड़े प्रॉपर्टी डीलर्स, बिजनेसमैन और पार्षद बन गये हैं. इस ”पलटीमार” राजनीति ने न केवल आम जनता को चौंकाया है, बल्कि निगम के अधिकारी और कर्मचारी भी सहमे हुए हैं. उन्हें डर है कि कब कौन किसे फंसा दे, कुछ कहा नहीं जा सकता. मुजफ्फरपुर नगर निगम की यह उथल-पुथल सिर्फ स्थानीय राजनीति तक सीमित नहीं है. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह सत्ता के लिए होने वाली खींचतान का एक छोटा नमूना हो सकता है. जिस तरह से यहां स्वार्थ के लिए पाले बदले जा रहे हैं, वह यह दिखाता है कि राजनीतिक निष्ठा से ज्यादा व्यक्तिगत लाभ को तरजीह दी जा रही है.बागी पार्षदों का पलटना, नये गुटों की तैयारी
स्टैंडिंग कमेटी की बैठक से पहले बागी हुए तीन पार्षदों के मेयर के साथ फिर से हाथ मिला लेने से उनके समर्थक पार्षदों को बड़ा झटका लगा है. अब ये समर्थक पार्षद एक नया गुट बनाने में जुट गये हैं. हालांकि, इस गुट का भविष्य क्या होगा, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि इसमें अभी से ही स्वार्थ साफ दिखने लगा है. इस गुट का नेतृत्व करने वाले पार्षद अपने आप को मेयर से भी ज्यादा पावरफुल समझ रहे हैं. हालांकि, नगर निगम की पलटीमार राजनीति को देख धीरे-धीरे ऐसे नेतृत्व कर्ता पार्षदों से अब कर्मचारी व अधिकारी भी दूरी बनाने लगे हैं.निगम प्रशासन पर हमला करने की रणनीति
इन सब के बीच कुछ पार्षद ऐसे भी हैं जो किसी भी गुट में शामिल नहीं हैं. वे आगामी बोर्ड मीटिंग में इस ””स्वार्थ की राजनीति”” पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए वे अलग-अलग जगहों पर बैठक कर रहे हैं और निगम सरकार के साथ-साथ प्रशासन को घेरने की रणनीति बना रहे हैं. उनकी कोशिश है कि इस खींचतान के बीच जनता के असल मुद्दों को उठाया जाये.
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