रात में ट्रैफिक सिग्नल बंद होने के बाद चालान काटना अनुचित : एसटीसी
रात में ट्रैफिक सिग्नल बंद होने के बाद चालान काटना अनुचित : एसटीसी
– एसटीसी ने डीएम व एसपी काे पत्र लिखकर कार्रवाई के दिये निर्देश
– ट्रैफिक चालान के निबटारे के लिए मासिक कोर्ट चालू किया जाये
– तीन पहिया सवारी वाहनों पर ओवरलोडिंग होने पर करें कड़ी कार्रवाई, लगाये भारी जुर्माना
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
ट्रैफिक द्वारा मनमाने तरीके से काटे जा रहे चालान से आम जनता से लेकर व्यवसायी वर्ग परेशान हैं. इस पर रोक लगाने को लेकर परिवहन विभाग(एसीटीसी) ने निर्देश जारी किये हैं. कहा गया है कि रात आठ बजे के बाद ट्रैफिक सिग्नल बंद या पीली बत्ती ब्लिंक करते समय काटे जा रहे चालान को अनुचित है. वहीं रात के 9 बजे से सुबह के 9 बजे तक सड़क किनारे खड़े वाहनों पर नो पार्किंग का जुर्माना नहीं लगाया जाये. वर्तमान में निजी वाहनों पर पार्किंग का जुर्माना लगाया जाता है.
एसटीसी ने कहा है कि लोक अदालत की तर्ज पर एक मासिक कोर्ट भी चलाया जाये, जहां सरकार और नागरिकों के बीच यातायात चालान के मामले का समाधान हो सके. इससे सरकार को अनसुलझे राजस्व की वसूली में सहायता होगी. देश के सभी मेट्रो शहरों में यह व्यवस्था लागू है. एसटीसी सह प्रभारी पदाधिकारी (लीड एजेंसी बिहार सड़क सुरक्षा परिषद) आशुतोष द्विवेदी ने डीएम (अध्यक्ष, जिला सड़क सुरक्षा समिति) व एसएसपी को पत्र लिखकर मामले में शीघ्र विधि सम्मत कार्रवाई करने और किये गये कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है. इस संबंध में चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से ई-वाहन नीति और व्यापारिक समुदाय को हो रही परेशानियों से अवगत कराया गया था.ग्रीन सिग्नल कम से कम 30 सेकेंड का हो
पत्र में बताया है कि यातायात नियम के अनुसार ट्रैफिक सिग्नल का रंग जब लाल से हरा होता है तो न्यूनतम अवधि 30 सेकेंड की होनी चाहिए, जबकि मुजफ्फरपुर में अधिकांश सिग्नल पर यह समय 15 से 25 सेकेंड का है. अधिक सिग्नल पर वाहन रोकने वाले जगह पर सफेद पट्टी नहीं है, जिससे आम जनता को गलती से नियम उल्लंघन का दंड भुगतना पड़ता है. अधिकांश ट्रैफिक सिग्नल के पास दोनों छोड़ पर 10 इंच और इससे ऊंचे स्पीड ब्रेकर बने है जिससे ई-रिक्शा जैसे वाहन धीमा होकर वहां जाम की स्थिति पैदा कर देते हैं. यहां की अधिकांश सड़के संकरी, अधिकांश तीन पहिया वाहन चौराहे पर रूकते हैं जिससे जाम की समस्या होती है. सभी सिग्नल व चौराहों से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर किसी भी वाहन के पार्किंग पर सख्ती से रोक लगाये. बैट्री बचाने के चक्कर में ई रिक्शा शाम में हेडलाइट बंद कर देते है इससे दुर्घटनाएं बढ़ रही है, इसे ठीक किया जाये.
अधिकांश तीन पहिया चालकों के पास नहीं है डीएल
पत्र में स्पष्ट बताया गया है कि अधिकांश तीन पहिया (सीएनजी, डीजल, ई-रिक्शा) चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) नहीं, वहीं बहुत से नाबालिग तीन पहिया चला रहे हैं. पटना की तर्ज पर मुजफ्फरपुर में भी डीएल के नियम को कड़ाई से लागू किया जाये. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र में ऐसे ही मामलों में 564 सड़क दुर्घटनाएं घटी है. वहीं तीन पहिया और दो पहिया वाहन सवारों द्वारा जरूरत से अधिक सवारी लादने की प्रवृत्ति बढ़ने से गंभीर दुर्घटनाएं हो रही है. सरकार को ऐसे वाहनों से यात्रा करने वाले मृत या घायलों को मुआवजा बंद कर देना चाहिए. इसका व्यापक प्रचार प्रसार करते हुए सवारी ओवरलोडिंग करने पर कड़ी कार्रवाई और भारी जुर्माना किया जाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
