परिवार नियोजन : जिले में सात गुना आगे महिलाएं, पुरुष काफी पीछे

परिवार नियोजन : जिले में सात गुना आगे महिलाएं, पुरुष काफी पीछे

By Kumar Dipu | December 12, 2025 7:53 PM

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

जिले में परिवार नियोजन के तहत महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी बेहद कम हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अप्रैल से नवंबर तक 3528 महिलाओं ने बंध्याकरण कराया है, जबकि इसी अवधि में सिर्फ 16 पुरुषों ने नसबंदी कराई. नवंबर माह में चलाए गए नसबंदी पखवाड़े में भी यही स्थिति बनी रही. पखवाड़े के दौरान 2077 महिलाओं ने बंध्याकरण कराया, जबकि महज पांच पुरुष नसबंदी के लिए आगे आए. पखवाड़े में प्रतिदिन 10 पुरुष नसबंदी और 60 महिला बंध्याकरण का लक्ष्य तय किया गया था. स्वास्थ्य विभाग ने पखवाड़े के लिए प्रत्येक इकाई का लक्ष्य भी निर्धारित किया था.

प्रत्येक पीएचसी को 10 पुरुष नसबंदी, 60 बंध्याकरण, 100 कॉपर-टी और 200 अंतरा का लक्ष्य दिया गया था. एनजीओ को 20 पुरुष नसबंदी, 70 बंध्याकरण, 20 कॉपर-टी और 50 अंतरा, जबकि यूपीएचसी को 10 नसबंदी, 20 बंध्याकरण, 30 कॉपर-टी और 50 अंतरा के लिए लोगों को प्रेरित कर सदर अस्पताल भेजने की जिम्मेदारी दी गई थी.

अंतरा और कॉपर-टी में 55.7%, बंध्याकरण में 45% महिलाएं आगे

परिवार नियोजन के अस्थायी व स्थायी साधनों के उपयोग में भी महिलाएं पुरुषों की तुलना में काफी आगे हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले की 55.7 फीसदी महिलाओं ने कॉपर-टी और अंतरा जैसे साधनों को अपनाया है. वहीं 45 फीसदी महिलाओं ने स्थायी उपाय (बंध्याकरण) का चयन किया है. कुल मिलाकर 66.1 फीसदी महिलाएं किसी न किसी परिवार नियोजन पद्धति का उपयोग कर रही हैं. महिलाओं को 2000, पुरुषों को 3000 रुपये

परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है. बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को 2000 रुपये, जबकि आशा को 200 रुपये दिए जाते हैं. पुरुष नसबंदी पर 3000 रुपये लाभुक को तथा 400 रुपये प्रेरित कर लाने वाले को दिए जाते हैं.

बयान

परिवार नियोजन में महिलाएं अब आगे आने लगी हैं. महिलाएं हम दो हमारे दो का नारा अपनाने लगी हैं. जबकि नसबंदी कराने में पुरुष आज भी हिचक रहे हैं. इनके लिये प्रोत्साहन राशि भी महिलाएं की अपेक्षा अधिक हैं. बंध्याकरण पर जहां महिलाओं को दो हजार दी जाती हैं. वहीं नसबंदी कराने वाले पुरुषों को तीन हजार मिलता है. नसबंदी के लिये जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है.

सिविल सर्जन, डॉ अजय कुमार

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