पेसमेकर लगाने की एक नई तकनीक है, जो लंबे समय के दुष्प्रभावों से बचाती

A new technique for implanting a pacemaker

By Kumar Dipu | August 26, 2025 9:16 PM

वरीय संवाददाता , मुजफ्फरपुर ब्रह्मपुरा स्थित उत्तर बिहार का प्रसिद्ध सुपर स्पेशलिटी प्रसाद हॉस्पिटल, में उत्तर बिहार का पहला कंडक्शन सिस्टम / लेफ़्ट बंडल ब्रांच पेसिंग सफलतापूर्वक किया गया. प्रसाद हॉस्पिटल के सीएमडी डॉ उपेंद्र प्रसाद ने बताया कि 61 वर्षीय मरीज निसार अहमद, जो बेहोशी की स्थिति में अस्पताल पहुंचे थे, जिनकी अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जीशान अहमद मुमताज ने त्वरित जांच में कम्प्लीट हार्ट ब्लॉक पाया. इस स्थिति में हृदय की धड़कन संचालित करने वाली तंत्रिका-रेशे काम करना बंद कर देते हैं. वे पहले से ही हृदयाघात के रोगी रहे हैं और उनका हृदय बहुत कमजोर (कमज़ोर एलवी फंक्शन) हो चुका था. इस जटिल प्रक्रिया को संपन्न करने वाले हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ज़ीशान अहमद मुमताज़ ने बताया कि यह पेसमेकर लगाने की एक नई तकनीक है, जो परंपरागत तरीकों से होने वाले लंबे समय के दुष्प्रभावों से बचाती है. इस तकनीक में हृदय की मूल कंडक्शन फाइबर्स का प्रयोग किया जाता है, जिससे पेसमेकर का इम्पल्स प्राकृतिक ढंग से प्रवाहित होता है. परिणामस्वरूप हृदय के चारों कक्षों में असामान्य तालमेल (डिससिंक्रॉनी) नहीं होता और भविष्य में हृदय विफलता (हार्ट फेलियर) के बढ़ने का खतरा समाप्त हो जाता है. डॉ. मुमताज ने बताया कि इस तकनीक की सिफारिश गाइडलाइन्स में उन मरीजों के लिए की गई है, जिनका हृदय पहले से ही कमजोर हो चुका हो. यह तकनीक पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में अधिक सुरक्षित है, क्योंकि इसमें हृदय की प्राकृतिक विद्युत तंत्रिका-रेशों को ही सक्रिय किया जाता है. इससे भविष्य में हृदय विफलता का खतरा लगभग समाप्त हो जाता है. पहले ऐसे मरीजों को बड़े शहरों के उच्च स्तरीय अस्पतालों में रेफर किया जाता था, लेकिन अब इस सुविधा की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर होना यहां के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

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