बैगन व टमाटर पर तना व फली छेदक कीटों का हमला

बैगन व टमाटर पर तना व फली छेदक कीटों का हमलाबचाव के लिए ग्रसित तना व फलों को इकट्ठा कर नष्ट करेंरोकथाम के लिए स्पिनोसेड दवा का करें छिड़कावचना की बोआई दस दिसंबर तक संपन्न कर दें चारे के लिए जई व बरसीम की बोआई करेंवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरबैंगन व टमाटर की फसलों के लिए अच्छा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2015 6:54 PM

बैगन व टमाटर पर तना व फली छेदक कीटों का हमलाबचाव के लिए ग्रसित तना व फलों को इकट्ठा कर नष्ट करेंरोकथाम के लिए स्पिनोसेड दवा का करें छिड़कावचना की बोआई दस दिसंबर तक संपन्न कर दें चारे के लिए जई व बरसीम की बोआई करेंवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरबैंगन व टमाटर की फसलों के लिए अच्छा समय नहीं चल रहा है. किसानों ने बहुत मेहनत कर बैंगन व टमाटर की खेती की थी. लेकिन जब फल निकलने की बारी आयी तो तना और फल को कीड़े नुकसान पहुंचा रहे हैं. तना छेदक कीड़े के हमले के शिकार टमाटर व बैंगन का डंटल बरबाद हो रहा है. तैयार हो रहे फलों में फली छेदक कीड़े नुकसान पहुंचा रहे हैं. राजेंद्र कृषि विवि पूसा को इस प्रकार की सूचना मिल रही है. वहां से किसान समाधान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. आरएयू के ग्रामीण कृषि मौसम परामर्शी सेवा के नोडल पदाधिकारी डाॅ ए सत्तार ने बताया कि बैंगन व टमाटर की फसल को तना व फल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित तना व फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें. यदि कीट की संख्या अधिक हो, तो स्पिनोसेड 48 इसी/ एक मिलीलीटर प्रति चार लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. फुलगोभी व पत्ता गोभी वाली फसल में पत्ती खाने वाली कीट (डायमंड बैक मॉथ) की रोकथाम के लिए स्पिनोसेड दवा एक मिलीलीटर प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. रबी मक्का की बोआई 30 नवंबर तक संपन्न कर लें. अन्यथा उपज प्रभावित हो सकती है. बीज को बोआई से पहले कैप्टॉन या थीरम नामक दवा के 2़ 5 ग्राम मात्र से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर बोआई करें. अागात बोये गये मक्का में निकौनी कर खरपतवार निकाले.पिछात धान की कटाई कर जल्द से जल्द गेहूं की बोआई करें. सिंचित व सामान्य समय पर बोआई के लिए पीबीडब्लू-343, पीबीडब्लू-443, एचडी-2733, एचडी-2967, एचडी-2824, के-9107, के-307, एचयूडब्लू-206 किस्में अनुशंसित है. बीज को बोआई से पहले 2़ 5 ग्राम बेबीस्टीन से प्रति किलो ग्राम बीज को उपचारित करें. बोआई के समय 60 किलो ग्राम नेत्रजन, 60 किलो ग्राम फॉस्फोरस व 40 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें. छिटकाव विधि से बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 125 किलो ग्राम व सीड ड्रील से पंक्ति में बोआई के लिए 100 किलो ग्राम बीज का व्यवहार करें. बीज के अच्छे जमाव के लिए खेत में नमी का होना आवश्यक है.चना की बोआई 10 दिसंबर तक संपन्न कर लें. अन्यथा उपज प्रभावित हो सकती है. चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59 (उदय), केडब्लूआर-108, पूसा 372 अनुशंसित हैं. बोआई से पूर्व बीज को उपचारित करें.गत माह के लगाये गये आलू के पौधों की ऊंचाई 15-22 सेमी हो जाने पर आलू में निकौनी कर मिट्टी चढ़ायें. फिर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.चारे के लिए जई व बरसीम की बोआई करें. जई के लिए 80-100 किलो ग्राम बीज व बरसीम के लिए 25-30 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का व्यवहार करें. सब्जियों में निकाई-गुड़ाई व आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. दुधारु पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढाने के लिए दाना, हरे व शुष्क चारे के मिश्रण खिलायें. इनके आहार में प्रयाप्त मात्र में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन्स, खनिज लवण का समावेश करें.