अबतक अटका है जमालपुर-मुंगेर रेलखंड के दोहरीकरण का मामला
मुंगेर में दूसरे रेल पुल का मामला भी रेलवे बोर्ड में विचाराधीन
जमालपुर. जमालपुर-मुंगेर रेलखंड के दोहरीकरण का मामला अबतक लटका हुआ है. इतना ही नहीं मुंगेर गंगा नदी पर बनने वाला दूसरे रेल पुल का मामला भी रेलवे बोर्ड में लंबित है. मुंगेर में गंगा पुल का निर्माण मुंगेर के सांसद ब्रह्मानंद मंडल के साथ मुंगेर और आसपास के सैकड़ों लोगों के प्रयास का नतीजा है कि वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल पुल पर पैसेंजर ट्रेन चलाकर इस रेल खंड का शुभारंभ किया था, पर नौ साल गुजर जाने के बाद भी अबतक न तो इस रेलखंड का दोहरीकरण हो पाया और न ही गंगा नदी पर दूसरे पुल का निर्माण हो पाया है. इतना ही नहीं जमालपुर से मुंगेर होते हुए खगड़िया और बेगूसराय के लिए ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी भी नहीं हो पा रही है. वर्तमान में जमालपुर से मुंगेर होते हुए बेगूसराय के लिए दो ट्रेन और खगड़िया के लिए तीन ट्रेन चलती है. रोज हजारों की संख्या में रेल यात्री तीन ट्रेनों से यात्रा करते हैं, बावजूद इस रूट पर मात्र आठ डब्बे वाली ट्रेन का परिचालन होता है. इसके कारण इस रेल मार्ग से यात्रा करने वाले परेशान रहते हैं.
दो वर्ष पहले 1600 करोड़ रुपये का बनाया गया था डीपीआर
जानकारी के अनुसार, जमालपुर-मुंगेर रेल पथ के दोहरीकरण व मुंगेर में गंगा नदी पर दूसरे पुल का निर्माण कार्य का मामला अब ईस्ट सेंट्रल रेलवे में पड़ा हुआ है. हालांकि इस कार्य के लिए 1600 करोड़ रुपये का डीपीआर लगभग दो वर्ष पहले तैयार किया गया था. इसके अंतर्गत जमालपुर से मुंगेर रेलवे स्टेशन होते हुए लगभग 14 किलोमीटर के रेलखंड का दोहरीकरण किया जाना था. बताया गया कि जमालपुर से सबदलपुर की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है. सबदलपुर से ही बेगूसराय होते हुए तिलरथ और खगड़िया होते हुए महेशखूंट जाने का रेल मार्ग है. ऐसे में जमालपुर से सबदलपुर रेलवे स्टेशन तक के दोहरीकरण कार्य की योजना बनायी गयी थी, पर दो साल बीत जाने के बाद अब तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हो पायी है.
वर्तमान रेल पुल के निर्माण में लगे थे 14 वर्ष
मुंगेर में बने रेल सह सड़क पुल के निर्माण में लगभग 14 वर्ष का समय लगा था. मुंगेर की जनता ने लगातार आंदोलन किया था और तत्कालीन सांसद ब्रह्मानंद मंडल इसके लिए अनशन पर बैठे थे. इसके बाद 26 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस रेलवे पुल का शिलान्यास किया था. इस पुल के निर्माण पर लगभग 9300 करोड़ रुपये की लागत आयी थी. 2016 में 11 मार्च को ट्रेन परिचालन इस रेलवे पुल से होकर आरंभ हुआ था. सूत्रों ने बताया कि दूसरे रेलवे पुल के निर्माण को अबतक हरी झंडी नहीं मिल पायी है. इसके कारण दोहरीकरण कार्य भी प्रभावित हुआ है.
कहते हैं अधिकारी
पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ सरस्वती चंद्र ने कहा कि गंगा पर नये पुल के लिए डीपीआर रेलवे बोर्ड को भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही कार्य आरंभ करवाया जायेगा.
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