नालसीवाद में भी अनुसूचित जाति व जनजाति के पीड़ितों को मिले मुआवजा

नालसीवाद में भी अनुसूचित जाति व जनजाति के पीड़ितों को मिले मुआवजा

By AMIT JHA | June 29, 2025 12:46 AM

जमालपुर. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सरकार एफआइआर दर्ज होने पर तो पीड़ितों को मुआवजा देती है, लेकिन जब पीड़ित न्याय की आस में कोर्ट के नालसीवाद (शिकायत याचिका) दायर करते हैं तो उन्हें किसी भी तरह की क्षतिपूर्ति नहीं दी जाती है. यह नीति अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण है. उक्त बातें जनकल्याण संघ एक आवाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह मोर्चा महासचिव राकेश पासवान शास्त्री एवं मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बासुकी पासवान ने कही. बोचाही स्थित आंबेडकर पुस्तकालय भवन में शनिवार को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति संघर्ष मोर्चा ने प्रेस वार्ता की. इसमें मोर्चा के अधिकारियों ने कहा कि पुलिस केस के साथ नालसीवाद में भी पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान होना चाहिए, तभी अपराध नियंत्रण होगा. मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बासुकी पासवान बौद्ध ने कहा कि यदि थाना में प्राथमिकी दर्ज होने पर मुआवजा दिया जा सकता है तो कोर्ट में दर्ज की गयी वैधानिक शिकायतों के मामले में पीड़ितों को मुआवजा क्यों नहीं दिया जा सकता है. वक्ताओं ने केस में समझौते के रवैए पर नाराजगी जतायी. इसके साथ ही अपने समाज से झूठा मुकदमा न दर्ज करवाने पर भी बल दिया. वक्ताओं ने कहा कि यदि सरकार ने शीघ्र ही मुआवजा नीति में संशोधन नहीं किया तो राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा. मौके पर सेवानिवृत डीएसपी अनिल पासवान, पूर्व डीएसपी सुरेंद्र पासवान आदि मौजूद थे.

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