अनियमितता मामले में बनते रहे हैं स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम, फाइलों में दम तोड़ रही रिर्पोट, नहीं होती कार्रवाई
अस्पताल के सुरक्षाकर्मी और वार्ड में काम कर रहे बाहरी पारामेडिकल युवक के बीच चाकूबाजी की घटना हुयी थी
मुंगेर
सदर अस्पताल सहित जिले के विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में कई बार लापरवाही, बदहाल व्यवस्था और अन्य मामलों के लिए जांच कमेटी बन चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के इन जांच कमेटियों की रिर्पोट कभी फाइलों से बाहर नहीं निकल पायी. जिसके कारण अधिकांश मामलों में कार्रवाई ही नहीं हुई.फाइलों तक ही सिमटा रहा है स्वास्थ्य विभाग की जांच रिर्पोट
सदर अस्पताल सहित जिले के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में कई बार चिकित्सकों, कर्मियों की लापरवाही सहित संबंधित अस्पताल की बदहाल व्यवस्था और इन स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों को बाहर भेजे जाने का मामला सामने आ चुका है. जिसमें कई मामलों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच कमेटी बनायी गयी, लेकिन जांच कमेटी की रिर्पोट ही फाइलों से बाहर नहीं निकल पायी या कई मामलों में केवल जांच कमेटी बनकर ही रह गयी. जिसके कारण ऐसे कई मामलों में दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई तक नहीं हो पायी.कई बार तो बड़ा मामला होने के बावजूद नहीं बनती जांच कमेटी
स्वास्थ्य विभाग भले ही कई बार किसी प्रकार का मामला सामने आने के बाद जांच कमेटी बनाकर मामले की जांच कराने का दावा करता हो, लेकिन कई बार मामला सामने आने के बावजूद न तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन मामलों पर संज्ञान लिया जाता है और न ही इसके लिये कोई जांच कमेटी बनायी जाती है. विदित हो कि बीते नवंबर माह में ही सदर अस्पताल के मॉडल अस्पताल भवन में लिफ्ट के समीप अस्पताल के सुरक्षाकर्मी और वार्ड में काम कर रहे बाहरी पारामेडिकल युवक के बीच चाकूबाजी की घटना हुई थी, लेकिन मामले की जांच के लिये न तो कोई कमेटी बनी और न ही इस मामले में किसी सुरक्षाकर्मी या बाहरी पारामेडिकल कर्मियों पर कोई कार्रवाई हुयी. हद तो यह है कि कुछ दिन पहले ही सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बाहरी व्यक्ति द्वारा ड्यूटी कर रहे एक चिकित्सक के साथ मारपीट करते हुये धमकी भी दी गयी. इस मामले में चिकित्सक द्वारा थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस मामले में पूरी तरह मौन बना रहा.————————————बॉक्स
———————————–किन-किन मामलों में बनी जांच कमेटी, नहीं हुयी कार्रवाई
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19 नवंबर 2025 –
सदर अस्पताल के ओपीडी में फिजिशियन चिकित्सक की जगह पारामेडिकल छात्राें द्वारा मरीजों की इलाज किया जा रहा था. जिसमें पारामेडिकल छात्रों द्वारा हृदय रोग पीड़ित मरीज को दवा तक भव्या एप पर लिख कर दी गयी. मामले की शिकायत के बाद सिविल सर्जन द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है, लेकिन अबतक न तो मामले की जांच हुयी है और न ही इसे लेकर कोई कार्रवाई की गयी है.———————–22
अक्तूबर 2025
– सदर अस्पताल के पेड्रियाटिक (चाइल्ड) ओपीडी में पटाखा फोड़ने के दौरान जली टीकारामपुर निवासी नारद कुमार की 10 वर्षी पुत्री वैष्णवी को चिकित्सक डॉ रौशन कुमार द्वारा कुत्ता काटने का इंजेक्शन लिख दिया. जबकि उसे कुत्ते ने नहीं काटा था. इस मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनी, लेकिन जांच रिर्पोट फाइलों तक ही सिमट कर रह गया.—————————25 अगस्त 2025 –
टेटियाबंबर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से टेटिया गांव निवासी टोला सेवक मिंटू मांझी को रेफर किये जाने और एंबुलेंस से जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो जाने को लेकर परिजनों द्वारा हंगामा किया गया था. इस मामले में भी सिविल सर्जन द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनायी गयी, लेकिन जांच रिर्पोट फाइलों तक ही रह गया.———————————–14 जून 2025 –
सदर अस्पताल के ओपीडी में बने दवा काउंटर पर 12 जून को 65 वर्षीय अमीर साह को पेट दर्द की शिकायत पर चिकित्सक द्वारा मेफेनामिक एसिड 500 एमजी दर्द की दवा लिखी गयी, लेकिन दवा काउंटर पर मरीज को इस दवा की जगह डायबीटीज की दवा मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड ससटेन 500 एमजी दे दी गयी. मामले के बाद इसकी जांच के लिये कमेटी तो बनी, लेकिन न तो इसकी जांच हुयी और न ही कोई कार्रवाई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
