बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बदहाल : मुंगेर में 3.55 कुपोषित बच्चे व शिशु मृत्यु दर लगभग 6 प्रतिशत
बीमारी से पीड़ित बच्चों को विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई का समुचित लाभ मिल रहा है.
– जिले में अत्याधुनिक सुविधाओं के बावजूद बदहाल हो रहा बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
मुंगेरजिले में नवजात व कुपोषित बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिये सरकार न केवल करोड़ों रूपये खर्च कर रही है, बल्कि इसके लिये पोषण पुर्नवास केंद्र एवं विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई का संचालन कर रही है. जहां कुपोषित बच्चों तथा जन्म के दौरान किसी प्रकार की बीमारी से पीड़ित बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करायी जाती है, लेकिन जिले में न तो कुपोषित बच्चों को पोषण पुर्नवास केंद्र का सही से लाभ मिल पा रहा है और न ही जन्म के दौरान किसी प्रकार की बीमारी से पीड़ित बच्चों को विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई का समुचित लाभ मिल रहा है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुंगेर जिले में कुपोषण का आंकड़ा जहां 3.55 प्रतिशत है. वही शिशु मृत्यु दर वर्तमान में लगभग 6 प्रतिशत है.
जिले में कुपोषण का आंकड़ा 3.55 प्रतिशत
बिहार सरकार के आईसीडीएस (इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज स्कीम) द्वारा प्रदेश में कुपोषण को लेकर जिलावार आंकड़ा जारी किया गया है. जिसके अनुसार मुुंगेर जिले में कुपोषण के मामले में सूबे के 38 जिलों की सूची में 15 वें स्थान पर है. आईडीसीडीएस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मुंगेर जिले में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 3.55 प्रतिशत है. यह हाल तब है, जब जिले के सदर अस्पताल में 14 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) वार्ड संचालित हो रहा है, यहां बच्चों को कुपोषण से बचाया जाता है. आइसीडीएस के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र तथा जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम दोनों द्वारा ही कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजना है. यहां कुपोषित बच्चों को 15 दिनों तक रखा जाता है. जहां उनके खाने-पीने का अलग से डायट निर्धारित होता है. इस वार्ड में कुपोषित बच्चों के साथ न केवल उनकी माताओं के रहने की भी सुविधा है, बल्कि कुपोषित बच्चों के इलाज अवधि तक इन बच्चों की माताओं को अलग से राशि का भुगतान भी किया जाता है. वहीं एनआरसी वार्ड में चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के अबतक के 11 माह के आंकड़े को देंखे तो यहां कुल 76 कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए लाया गया है. इसमें मात्र 28 कुपोषित बच्चों को ही आइसीडीएस के आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा भेजा गया है, जबकि शेष 48 कुपोषित बच्चों को खुद स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा ही चिन्हित कर एनआरसी भेजा गया है.
प्रति माह औसतन 6 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर
जन्म के समय कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिये पूरे जिले में मात्र सदर अस्पताल में ही 20 वॉर्मर बेड वाला एसएनसीयू वार्ड संचालित किया जाता है. जहां जन्म के बाद किसी प्रकार की बीमारी से पीड़ित बच्चों को भर्ती किया जाता है. वही वित्तीय वर्ष 2025-26 के अप्रैल से नवंबर के बीच 8 माह के आंकड़ों को देखें तो इस दौरान एसएनसीयू वार्ड में कुल 671 नवजात भर्ती हुये. जिसमें 56 नवजातों की मौत इलाज के दौरान हो चुकी है. इसमें सर्वाधिक मौत सितंबर माह में हुयी है. जो कुल 15 है. अब ऐसे में इन आंकड़ों को देखें तो प्रत्येक माह एसएनसीयू वार्ड में 5 से 8 नवजातों की मौत हो रही है. जो लगभग 6 प्रतिशत है.
—————————————-बॉक्स—————————————–चालू वित्तीय वर्ष के 8 माह में एसएनसीयू वार्ड का आंकड़ा
माह कुल भर्ती मौतअप्रैल 78 5मई 74 4
जून 96 8जुलाई 99 8अगस्त 116 8
सितंबर 118 15अक्तूबर 90 8नवंबर 96 6————————————-बॉक्स
————————————-चालू वित्तीय वर्ष के 6 माह में एनआरसी आये कुपोषित बच्चेप्रखंड स्वास्थ्य विभाग आईसीडीएस
असरगंज 1 0बरियारपुर 3 0धरहरा 6 0खड़गपुर 11 2जमालपुर 10 9
सदर प्रखंड 21 17संग्रामपुर 2 1तारापुर 2 0टेटियाबंबर 1 0
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
