बिहार म्यूजियम में नहीं रखी जाएगी राहुल सांकृत्यायन की पांडुलियां,बेटी ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर किया विरोध

प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाये गये 6400 से अधिक दुर्लभ तिब्बती पांडुलिपियां और पुरावशेष पटना म्यूजियम से बिहार म्यूजियम स्थानांतरित करने की योजना के विरोध में उनकी बेटी जया सांकृत्यायन पारहॉक ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर किया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 21, 2023 6:59 AM

प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाये गये 6400 से अधिक दुर्लभ तिब्बती पांडुलिपियां और पुरावशेष पटना म्यूजियम से बिहार म्यूजियम स्थानांतरित करने की योजना के विरोध में उनकी बेटी जया सांकृत्यायन पारहॉक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर किया है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि उनके पिता ने पुरावशेष पटना म्यूजियम को दान में दिये थे न कि बिहार म्यूजियम को. राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बती पांडुलिपियां और तस्वीरें, 115 थांगका पेंटिंग (सूती या रेशमी कपड़े पर तिब्बती शैली के बौद्ध चित्र), सिक्के और वस्त्र तिब्बत से लाये थे.

जया सांकृत्यायन ने नीतीश कुमार को लिखा पत्र

देहरादून में रह रहीं जया कहती हैं कि “मुझे पटना म्यूजियम से जुड़े लोगों से पता चला है कि राज्य सरकार मेरे पिता द्वारा दान किये गये अमूल्य संग्रह को बिहार संग्रहालय सहित अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना बना रही है.इसलिए मैंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विरोध पत्र लिखा है. जया ने अपने तर्क में कहा कि पटना म्यूजियम सीधे राज्य सरकार के अधीन आता है, बिहार म्यूजियम राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत एक सोसायटी द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

पांडुलियों पर पर दो संस्थाएं कर रही काम

पटना म्यूजियम के साथ दो रिसर्च संस्थान जुड़े हैं जो तिब्बती पांडुलिपियों पर काम कररहे हैं. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि पटना म्यूजियम से संग्रह को बिहार म्यूजियम में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव मेरे पिता की स्मृति, हमारे देश के लिए उनकी दृष्टि और इसकी बौद्धिक विरासत का अपमान है.पत्र में लिखा है, राहुल संग्रह की अखंडता और भौतिक सुरक्षा को निजी संस्थाओं द्वारा परिवहन या प्रदर्शन के लिए विभाजित और हटा दिये जाने से खतरा है.यदिबिहार सरकार संग्रह को और अधिक समय तक देखने और संरक्षित रखने में सक्षम नहीं है, तो इसके भविष्य का फैसला करने के लिए पूरे भारत के बौद्ध विद्वानों की एक समिति बनाने के बारे में परिवार से परामर्शकिया जाना चाहिए.

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