गेहुंमा नदी के जलस्तर में आने लगी कमी

मधेपुर : बरसाती गेहुंमा नदी के जलस्तर में कमी आने लगी है़ जलस्तर में कमी आने के बाद भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है़ बांकी, महासिंह हसौली, नवादा, प्रसाद, पचही, बाथ, परवलपुर, सुंदर विराजीत, महिसाम, मधेपुर पूर्वी, मधेपुर पश्चिमी पंचायत के बघारों एवं निचले इलाकों में फैला हुआ है. एचपीएस कॉलेज परिसर, रेफरल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 10, 2019 1:26 AM

मधेपुर : बरसाती गेहुंमा नदी के जलस्तर में कमी आने लगी है़ जलस्तर में कमी आने के बाद भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है़ बांकी, महासिंह हसौली, नवादा, प्रसाद, पचही, बाथ, परवलपुर, सुंदर विराजीत, महिसाम, मधेपुर पूर्वी, मधेपुर पश्चिमी पंचायत के बघारों एवं निचले इलाकों में फैला हुआ है. एचपीएस कॉलेज परिसर, रेफरल अस्पताल परिसर, एसएफसी गोदाम परिसर, प्लस टू जवाहर उच्च विद्यालय के खेल मैदान परिसर, बीआरसी भवन परिसर आदि जगहों में अभी भी बाढ़ का पानी फैला हुआ हुआ है.

महासिंह हसौली पंचायत के वीरपुर महादलित बस्ती के दर्जनों परिवार अभी भी विस्थापित होकर सड़क के किनारे एवं ऊचे जगहों पर बाल बच्चों एवं माल मवेशी के साथ शरण ले रखा है. इन परिवारों के घर आंगन अभी भी बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है़ गेहुमा नदी के बाढ़ से प्रभावित 10 पंचायत की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि बारिश होने के साथ ही बाढ़ आ जाती है. बाढ़ का पानी धीरे धीरे एक पखवाड़े तक बढ़ता रहता है़ पानी को घटने में एक पखवाड़े से अधिक समय लगता है. फलत: 10 पंचायत के किसानों के हजारों एकड़ में लगी धान की फसल प्रतिबर्ष बर्बाद होती है.

इतना ही नहीं खेतों में जलजमाव के कारण गेहुं की फसल की बुआई भी समय से नहीं हो पाती है़ गेहुंमा, सूपेन एवं सुगरवे नदी के बाढ़ के पानी से प्रतिवर्ष किसानों को होने वाल क्षति को लेकर पूर्व विधायक जगत नारायण सिंह ने बिहार के जल संसाधन मंत्री को पत्र भेजकर किसानों की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है. जल संसाधन मंत्री को भेजे गये पत्र में पूर्व विधायक ने कहा कि गेहुंमा, सूपेन एवं सुगरवे नदी के बाढ़ से मधेपुर, लखनौर एवं झंझारपुर प्रखंड के दर्जनों गांवों के किसानों के हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल प्रतिवर्ष बर्बाद होने के साथ जान माल की क्षति होती है.

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