देवोत्थान एकादशी पर की गयी पूजा-अर्चना
देवोत्थान एकादशी पर की गयी पूजा-अर्चना
ग्वालपाड़ा. कार्तिक महीना में होने वाली एकादशी को देवोत्थान व प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यह एकादशी धर्मवर्धक, शुद्ध बुद्धि व मुक्ति दायिनी एकादशी है. भगवान विष्णु को निंद्रा से जागने के लिए एकादशी की संध्या नियम निष्ठा से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस एकादशी व्रत के करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्ति होता है. हजारों जन्म किए गए पाप से मुक्ति इस एकादशी व्रत के करने से मिलती है. पूर्व जन्म के दुष्कर्म से विमुक्ति मिलती है व विष्णु लोक में अनंत काल तक पितर बास करते हैं. शनिवार को प्रखंड क्षेत्र के नोहर शाहपुर, सरौनी आदि गांवों में भक्त जन निराहार रह कर व्रत किये व संध्या समय घर में पूजे जाने वाले भगवान को लकड़ी के पीढ़ी पर अर्पण कर पीढ़ी के चारों कोने पर दिया जला कर बीच में भगवान को रखकर कम से पांच लोग भगवान को तीन बार संस्कृत श्लोक से उठा कर निंद्रा से जगा कर पूजा-अर्चना की व आरती दिखा कर पूजा का समापन किया. कुछ भक्त जन एकादशी व्रत रखने वाले निराहार रह कर कुछ फलाहार कर व्रत किया.
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