कचरे की आग : शहर की हवा में जहर घोल रही नगर परिषद

कचरे की आग : शहर की हवा में जहर घोल रही नगर परिषद

By Kumar Ashish | October 30, 2025 7:16 PM

मुख्य सड़कों के किनारे कूड़ा जलाने से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, एनजीटी के नियमों की उड़ायी जा रही धज्जियां शहर की सांसों पर संकट मधेपुरा . एक तरफ सरकारें ””स्वच्छ भारत”” और ””प्रदूषण नियंत्रण”” की बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं, वहीं जमीनी हकीकत बिलकुल उलट है. शहर के मुख्य सड़कों के किनारे जमा कचरे के ढेरों में लगायी जा रही आग अब शहरवासियों के लिए एक बड़ा संकट बन गयी है. इस आग से निकलने वाला जहरीला धुआं सीधे हवा में घुल रहा है, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है. यह आग सिर्फ कूड़े में नहीं, बल्कि शहर की सेहत और भविष्य में लगायही जा रही है. श्वांस लेना हो गया हैं दूभर स्थानीय निवासी विकास यादव का कहना है कि यह एक रोजमर्रा की समस्या बन गयी है. कूड़े के इन ढेरों में प्लास्टिक, पॉलीथिन और अन्य हानिकारक कचरा होता है, जिसके जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड और डाइऑक्सिन जैसे खतरनाक रसायन हवा में फैल रहे हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि हर दिन धुएं के कारण दम घुटने लगता है. बच्चों और बुज़ुर्गों को खांसी और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ गयी है. ऐसा लगता है जैसे हम किसी गैस चैंबर में रह रहे हैं. प्रशासन की अनदेखी, नियमों की उड़ रहीं धज्जियां जानकारों के मुताबिक, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने खुले में कचरा जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. लेकिन नगर परिषद और स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते यह प्रतिबंध सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. या तो प्रशासन उदासीन बनी हुई है. सेहत पर सीधा वार चिकित्सकों के अनुसार इस जहरीले धुएं से फेफड़ों, आंखों और मस्तिष्क पर असर पड़ रहा है. लगातार दूषित हवा में सांस लेने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी के मामलों में तेजी आ रही है. प्रभात खबर डिजिटल का एक्शन. नगर परिषद का ””नाकाफी”” प्रयास यह सारा नजारा प्रभात खबर डिजिटल से दिखाया गया, जिसने शहर की इस गंभीर समस्या को तुरंत सुर्खियों में ला दिया. खबर दिखाए जाने के तुरंत बाद ही नगर परिषद हरकत में आया. आग बुझाने के लिए पानी के टैंकर से प्रयास किया गया, लेकिन कचरे के बड़े ढेर और जहरीले धुएं के सामने यह कोशिश नाकाफी साबित हुई. आग लगी तो लगी रही. अब सवाल यह है कि क्या नगर परिषद सिर्फ़ कैमरे के लिए काम करेगी या फिर वास्तव में इस जहर पर काबू पाएगी ? शहर की जिम्मेदार संस्थाओं को इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देना चाहिए, अन्यथा स्वच्छ हवा में सांस लेना भी एक मुश्किल हो जायेगा. यह लापरवाही एक मजाक नहीं है, बल्कि सामूहिक स्वास्थ्य पर सीधा हमला है.

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