अटल बिहारी ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा के लिए कर दिया था समर्पित

अटल बिहारी ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा के लिए कर दिया था समर्पित

By Kumar Ashish | December 25, 2025 6:59 PM

मधेपुरा. राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) बीएनएमयू के तत्वावधान में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती गुरुवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में श्रद्धांजलि सभा व कविता पाठ का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने की. प्रधानाचार्य ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री का पद तीन बार संभाला. उन्होंने बताया कि अटल ने प्रधानमंत्री के रूप में देश को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया. उन्होंने जय जवान, जय किसान व जय विज्ञान का नारा देकर विकसित भारत की आधारशिला रखी. मुख्य अतिथि प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि अटल एक हिंदी कवि, पत्रकार व एक राजनेता थे. वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे व 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य (पत्र) व वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया. समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि अटल व्यक्ति से बड़ा संगठन व संगठन से बड़ा राष्ट्र के सिद्धांत पर चलते थे. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया था. कविता पाठ का आयोजन मौके पर वरिष्ठ व युवा कवियों ने कविता पाठ के माध्यम से अटल बिहारी को श्रद्धांजलि दी. शोधार्थी नन्हीं कुमारी ने अटल जी की कविता ””आओ फिर से दिया जलाएं”” का पाठ किया. पार्वती विज्ञान महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ आलोक ने कविता के माध्यम से आधुनिक जीवन पर करार व्यंग्य किया. यथा, “जानकारियों के जखिरों षर बैठे हैं हमपर पडोसियों से अंजान है. प्रो सिद्धेश्वर काश्यप ने राष्ट्रीयता से ओतप्रोत कविता सुनाई. डॉ मणिभूषण वर्मा ने अपनी कविता के माध्यम से श्रम के महत्व को उजागर किया व अपने कर्मपथ पर चलने की प्रेरणा दी. प्रो विनय कुमार चौधरी ने कहा हम तो बिगडे को इंसान बनाते हैं. पत्थर को गढ़ के भगवान बनाते हैं. वहीं सुधांशु शेखर ने अटल की कविता ऊंचाई का पाठ किया. इसमें कहा कि “मेरे प्रभु मुझे उतनी ऊंचाई न देना. गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रूखाई मत देना. मौके पर परीक्षा नियंत्रक डॉ शंकर कुमार मिश्र, परिसंपदा पदाधिकारी शंभू नारायण यादव, शोधार्थी डॉ सौरभ कुमार चौहान, प्रधान सहायक नारायण ठाकुर, सुनील कुमार, बबलू महतो, भारत प्रसाद यादव, रोहित कुमार, दीपक कुमार, चंदन कुमार आदि उपस्थित थे.

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