आधी आबादी बेबस, नप के गठन के बाद भी महिला शौचालय का निर्माण नहीं
जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते यह मांग पूरी नहीं हो पाई है.
उप मुख्य पार्षद मिंकी कुमारी ने कई बार बैठक में सार्वजनिक शौचालय बनाने की है मांग
उदाकिशुनगंज
मूलभूत सुविधाओं को लेकर यूं तो नवगठित नगर परिषद करोड़ों के कार्य करने में लगी है. वहीं दूसरी ओर वर्षों से नगर की एक बड़ी समस्या सार्वजनिक शौचालय के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किए गए हैं. नगर परिषद क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के कारण क्षेत्र के लोगों के साथ यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है. इस बाबत उप मुख्य पार्षद मिंकी कुमारी ने बताया है कि बैठक में विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय को लेकर कई बार मांग को उठाई गई है. लेकिन जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते यह मांग पूरी नहीं हो पाई है. उप मुख्य पार्षद मिंकी कुमारी ने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र से प्रतिदिन लोग मुख्यालय पहुंचते हैं. ऐसे स्थान पर शौचालय की कमी बरसो से खल रही है. इस पर सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है जो यहां वहां जगह तलाश करने को मजबूर हैं.
ज्ञात हो कि उदाकिशुनगंज नगर परिषद बने तीन साल से अधिक हो गये, लेकिन यहां एक भी महिला के साथ साथ सार्वजनिक शौचालय नहीं है. अनुमंडल मुख्यालय स्थित महिलाएं भी बाजारों में खरीदारी के लिए बढ़ रही हैं, लेकिन शौचालय की अनुपस्थिति से उन्हें परेशानी होती है. हालांकि नगर परिषद उप मुख्य पार्षद मिंकी कुमारी इस दिशा में कई बार पहल भी किया. लेकिन आजतक सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है. जो नगर परिषद के लिए शर्मनाक स्थिति है. खासकर बाजार आने वाली महिलाएं इस असुविधा के कारण खासा परेशान रहती हैं. हैरानी की बात है कि नगर परिषद में दर्जनभर महिला वार्ड पार्षद हैं. जहां शौचालय बने हुए भी हैं, वे भी इतने गंदे हैं कि लोग चाहकर भी उनका उपयोग नहीं कर पाते है. इतना ही नहीं महिलाओं को सबसे अधिक यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत रहती है, चिकित्सक भी उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह देते हैं, लेकिन नगर व्यवस्था में उनकी बुनियादी जरूरतों की अनदेखी हो रही है. इसके बावजूद पूरे उदाकिशुनगंज नगर परिषद में एक भी व्यवस्थित महिला शौचालय नहीं है, जो नगर परिषद के लिए कलंक बन चुका है. नगर परिषद के मुख्य बाजारों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में महिलाएं खरीदारी, दफ्तर, स्कूल–कॉलेज और अन्य कामों से आती-जाती हैं, फिर भी महिला शौचालय कहीं नजर नहीं आता. नतीजा यह कि जरूरत पड़ने पर उन्हें भारी शर्मिंदगी और परेशानी झेलनी पड़ती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
