राज्य स्तरीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के लिए जिले के चार विद्यार्थियों का हुआ चयन
राज्य स्तरीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के लिए जिले के चार विद्यार्थियों का हुआ चयन
मधेपुरा. जिले के लिए यह गर्व का विषय है कि जिले के दो विद्यालयों के चार विद्यार्थियों का चयन राज्य स्तरीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी 2025–26 के लिए किया गया है. यह राज्य स्तरीय प्रदर्शनी पांच व छह जनवरी को राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद, पटना में होगी.
चयनित विद्यार्थियों में उत्क्रमित मध्य विद्यालय, चकला, मधेपुरा तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय, भगवानपुर, साहुगढ़ टू के विद्यार्थी शामिल हैं.चयनित विद्यार्थियों की परियोजनाएं
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चकला से शिवम कुमार (कक्षा आठ) – स्मार्ट कचरा प्रबंधन निगरानी व प्रबंधन प्रणाली, शिवानंद कुमार (कक्षा आठ) – स्मार्ट गैस चूल्हा, उच्च माध्यमिक विद्यालय भगवानपुर से मुकेश कुमार (कक्षा 10) – स्वचालित हाथ साबुन वितरण व निगरानी प्रणाली, प्रियाम कुमारी (कक्षा 10) – स्मार्ट किराना दुकान परियोजनाओं ने स्वच्छता, सुरक्षा, स्मार्ट सेवाओं व तकनीक आधारित समाधान के क्षेत्र में अपनी उपयोगिता व प्रभावशीलता सिद्ध की है.गौरतलब है कि जिला स्तरीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का आयोजन दो दिसंबर को किया गया था. इस प्रदर्शनी में इन विद्यार्थियों की परियोजनाओं ने निर्णायक मंडल का ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद इन्हें राज्य स्तर के लिए चयनित किया गया. विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि चयनित चारों विद्यार्थी अल्स्टॉम द्वारा संचालित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी व गणित प्रयोगशाला से जुड़े हैं. इस प्रयोगशाला में विद्यार्थियों को उनके विचारों को नवाचार में बदलने के लिए निरंतर मार्गदर्शन दिया जाता है. यहां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी व गणित की शिक्षा केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि प्रायोगिक व हाथों से सीखने वाली गतिविधियों के माध्यम से दी जाती है. इससे विद्यार्थियों में समस्या समाधान, रूपरेखा आधारित सोच व तकनीकी कौशल का विकास होता है.
यह प्रतियोगिता प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित की जाती है, जिसमें कक्षा छह से 12तक के विद्यार्थी भाग लेते हैं. वर्ष 2025–26 के लिए प्रतियोगिता का मुख्य विषय विकसित व आत्मनिर्भर भारत के लिए एसटीइएम गया था. चयनित विद्यार्थियों की परियोजनाएं इस विषय के अनुरूप सामाजिक आवश्यकताओं व तकनीकी समाधान का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं. मौके पर नवाचार प्रशिक्षक आनंद विजय ने कहा कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों का राज्य स्तर तक पहुंचना यह साबित करता है कि यदि सही मार्गदर्शन, संसाधन व प्रायोगिक शिक्षण मिले, तो बच्चे किसी भी स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं. प्रयोगशाला का उद्देश्य बच्चों की जिज्ञासा को नवाचार में बदलना है, ताकि वे समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए टिकाऊ व उपयोगी समाधान विकसित कर सकें. जिले के लिए यह उपलब्धि न केवल विद्यार्थियों की मेहनत व प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विज्ञान व प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा भविष्य के वैज्ञानिकों व नवाचारकों को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
