प्राचीन बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर आस्था व नवरात्र का केंद्र

प्राचीन बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर आस्था व नवरात्र का केंद्र

By AWADHESH KUMAR | September 23, 2025 11:39 PM

किशनगंज. शहर के गुदरी बाजार में स्थित बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर 137 वर्षों से आस्था का प्रमुख केंद्र है. वर्ष 1888 में स्व. जगन्नाथ थिरानी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर के निर्माण और रखरखाव का पूरा खर्च आज भी थिरानी परिवार वहन करता है. मंदिर न केवल पूजा का स्थल है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र बन चुका है. शारदीय नवरात्र के दौरान विधि-विधानपूर्वक पूजा अर्चना होती है. अष्टमी और महानवमी को श्रद्धालु मिट्टी की हांडी में प्रसाद चढ़ाते हैं. महिलाएं माता दुर्गा के समक्ष डाली भरती की परंपरा निभाती हैं. यह मंदिर किशनगंज का सबसे प्राचीन दुर्गा मंदिर है. यहां से जिले में शारदीय नवरात्र की पूजा की शुरुआत हुई. भक्तों का विश्वास है कि जो भी सच्चे और शुद्ध मन से माता दुर्गा से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है. नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापन के साथ प्रतिमा स्थापित की जाती है और दसवीं पूजा के दिन महाप्रसाद के रूप में खिचड़ी वितरित की जाती है. मंदिर परिसर में नवरात्र के दौरान भव्य मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन और आशीर्वाद लेने आते हैं. मूर्ति विसर्जन के दिन सबसे पहले यहीं से मूर्ति निकाली जाती है. पश्चिम बंगाल से सटे होने के कारण किशनगंज की दुर्गा पूजा दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. नौ दिनों तक माता का दरबार भक्तों से भरा रहता है और स्थानीय परंपराओं के अनुरूप पूजा-अर्चना होती है. बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर न केवल आस्था और धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है