हृदय रोग सूझ रहे बच्चे का हो रहा निशुल्क इलाज, दो बच्चे पटना रेफर

आज भी हमारे समाज में कई ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चों की बीमारी को केवल एक ‘कमजोरी’ मानकर नजरअंदाज कर देते हैं

By AWADHESH KUMAR | November 17, 2025 8:09 PM

किशनगंज

आज भी हमारे समाज में कई ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चों की बीमारी को केवल एक ‘कमजोरी’ मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन सच यह है कि कई बच्चे जन्म से ही हृदय रोग से जूझ रहे होते हैं. ऐसी बीमारी जो उनके बचपन को तोड़ देती है, उनकी सांसों को भारी कर देती है और एक सामान्य जीवन जीने से रोकती है. कई माता-पिता आर्थिक तंगी और जानकारी के अभाव में केवल अपनी आंखों के सामने अपने बच्चे को कमजोर होते देखते रहते हैं. इसके निदान के लिए मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना, जिसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से लागू किया जा रहा है. देश के बेहतरीन हृदय संस्थानों में उनका पूरी तरह निःशुल्क उपचार भी सुनिश्चित किया जा रहा है. आज किशनगंज का स्वास्थ्य तंत्र यह साबित कर रहा है कि सरकारी योजनाएं यदि सही से लागू हों, तो सबसे गरीब बच्चे तक जीवन की सबसे बड़ी जरूरत-स्वास्थ्य-पहुंच सकती है.

दो बच्चियां बाल हृदय योजना के तहत पटना के लिए रवाना

आज सदर अस्पताल किशनगंज से नसरीन खातून और पल्लवी कुमारी को जन्मजात हृदय रोग के उपचार हेतु राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना के लिए भेजा गया.पटना में दोनों बच्चियों की विस्तृत जांच की जाएगी, जिसके बाद कल उन्हें सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल, अहमदाबाद भेजा जाएगा, जहां उनका सर्जिकल एवं उच्च स्तरीय उपचार होगा. पूरे इलाज, यात्रा, रहने और भोजन सहित हर खर्च सरकार वहन करेगी.

आरबीएसके टीम की सक्रियता ने बदल दिए कई परिवारों के जीवन

किशनगंज में आरबीएसके टीम गांव-गांव, टोला-टोला और स्कूलों में लगातार स्क्रीनिंग कर रही है. यह टीम बच्चों के दिल की धड़कनों, वजन, सांसों की गति, रंग में बदलाव और अन्य लक्षणों के आधार पर रोग की पहचान करती है.

डीपीएम डॉ मुनाजिम ने बताया कि बताया हमारी टीम प्रतिदिन मैदानी क्षेत्रों में जाकर 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच करती है. जन्मजात हृदय रोग का समय पर पता चलना बच्चे की जान बचाने में निर्णायक होता है. इसलिए अभिभावक किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें.उन्होंने जानकारी दी कि अब तक जिले के 31 बच्चों का सफल इलाज मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत कराया जा चुका है. अहमदाबाद के सत्य साईं अस्पताल में 25 बच्चों की सर्जरी और आईजीआईसी पटना में 6 बच्चों का डिवाइस क्लोजर हो चुका है.

समय पर जांच ही एक बच्चे को नई जिंदगी दे सकती है

सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने कहा कि बाल हृदय योजना ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति अभिभावकों का विश्वास बढ़ाया है. आज गंभीर बीमारी भी बच्चों से छूट रही है क्योंकि सरकार संपूर्ण खर्च वहन कर रही है.

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