श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया हरतालिका तीज व चौरचंद पर्व, चन्द्रमा को दिया अर्घ्य

आज निर्जला उपवास करने वाली महिलाएं करेंगी पारण

By RAJKISHORE SINGH | August 26, 2025 10:09 PM

आज निर्जला उपवास करने वाली महिलाएं करेंगी पारण खगड़िया. अखंड सौभाग्य का प्रतिक हरतालिका तीज हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान महिलाओं में खासे उत्साह देखा गया. महिलाओं द्वारा समूह बनाकर भक्ति गीत गाते देखा गया. सुहागिन महिलाएं पतियों के सुख- सौभाग्य, निरोग्यता के लिए निर्जला उपवास कर माता गौरी की पूजा श्रद्धा भक्ति के साथ किया. मंगलवार को शहर के हाजीपुर मुहल्ला निवासी बेबी देवी, सुधा भूषण कुमारी, सदर प्रखंड के माड़र, परबत्ता, गोगरी, अलौली, मानसी, चौथम, बेलदौर में अखंड सौभाग्य का प्रतिक हरतालिका तीज मनाया गया. हरतालिका तीज करने वाली व्रती प्रात: उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर नए अखंड कपड़े के साथ शृंगारित होकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित किया. साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प ली. संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुम्ब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की. संध्या में श्री गणेश का विधिवत पूजन किया गया. गणेश पूजन के पश्चात शिव-पार्वती का आवाह्न, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमनी, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा व यथाशक्ति आभूषण आदि से पूजन किया गया. कई गांवों में सुहागिन महिलाएं एक समूह बनाकर हरतालिका तीज श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया. पूजन की समाप्ति पर पुष्पांजलि चढ़ाकर आरती किया गया. वहीं घर के अन्य सदस्यों ने व्रती महिलाओं से आशीर्वाद प्राप्त किया. कथा श्रवण के बाद अंत में बांस की टोकरी या डलिया में मिष्ठान्न, वस्त्र, पकवान, सौभाग्य की सामग्री, दक्षिणा आदि रखकर आचार्य पुरोहित को दान के रुप दी. महिलाएं समूह बनाकर रात भर जागरण करते दिखे. हरतालिका व्रती आज सुबह पूजन से निवृत सामग्री को गंगा में विसर्जन के बाद पारण करेगी. वहीं संध्या में घर घर में चौरचंद्र पर्व श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया. संध्या में आंगन या छत पर रंग बिरंगे अरिपन बनाकर प्रसाद के रूप में उसके ऊपर छोटे छोटे मिट्टी के बर्तनों में दही, पकवान व कई तरह की मिठाई पश्चिम दिशा की ओर रखकर व्रतधारी महिलाएं के हाथों में बारी बारी से दहीं, पकवान की डाली, रख कर विभिन्न मंत्रों उच्चारण के साथ चन्द्रमा को अर्घ्य दूध एवं गंगाजल से दिया गया. भक्तगण चन्द्रमा का दर्शन हाथों में फल लेकर की.

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