अगस्त क्रांति: क्रांतिकारियों ने 1942 में कदवा थाना को कर दिया आग के हवाले, रेल पटेरिया भी उखाड़े
अगस्त क्रांति: क्रांतिकारियों ने 1942 में कदवा थाना को कर दिया आग के हवाले, रेल पटेरिया भी उखाड़े
सूरज गुप्ता, कटिहार आजादी की 78वीं सालगिरह को लेकर जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में उत्साह का माहौल है. हर जगह तिरंगा ही तिरंगा दिख रहा है. सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की ओर से तरह तरह की गतिविधियों के आयोजन की तैयारी भी चल रही है. साथ ही हर घर तिरंगा कार्यक्रम चलाया जा रहा है. शुक्रवार को आजादी की 78 वीं सालगिरह के मौके पर राष्ट्रध्वज पर फहराया जायेगा तथा कई तरह की गतिविधियां आयोजित की जायेगी. इस बीच देश को आजादी दिलाने में जिन लोगों ने भूमिका अदा की है. उनकी चर्चा भी लोगों की जुबां पर है एवं शहीदों को याद कर रहे है. देश के बड़े बड़े स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों को लोग याद करते रहे है. कटिहार जिला में भी बड़ी संख्या में लोगों ने स्वाधीनता संग्राम में अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए अंग्रेजों के दांत खट्टे किए है. यहां के वीर सपूतों की कहानी भी लोगों की जुबां तैर रही है यूं तो जिले के हर क्षेत्रों में लोगों ने आजादी की जंग में अपनी अपनी भूमिका अदा की है. प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लोगों ने आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया है. पर जंग-ए-आजादी के दौरान सबसे महत्वपूर्ण भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान था. जानकारों की मानें तो जब महात्मा गांधी जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया था तो कटिहार में इसका व्यापक असर पड़ा. इस आजादी के सालगिरह के मौके पर प्रभात खबर ने जंग-ए-आजादी में योगदान देने वाले वीर सपूतों की भूमिका को प्रकाशित करने की श्रृंखला चला रही है. इसी कड़ी में अंतिम किस्त के रूप में जिले के कदवा एवं डंडखोरा प्रखंड के रणबांकुरो के योगदान की चर्चा यहां की जा रही है. स्वतंत्रता सेनानी विष्णु प्रसाद सिंह के पुत्र सुमंत कुमार सिंह की मानें तो 1942 में आजादी की लड़ाई में कदवा तथा इसके आसपास के क्षेत्र के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. कई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. बड़ी संख्या में लोगों को अंग्रेजों की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी. पर आजादी की लड़ाई से पीछे नहीं हटे और कई मौकों पर अपने अदम्य साहस के बल पर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए. इस बीच यह भी जानकारी मिली है कि जिले के डंडखोरा प्रखंड मुख्यालय के आसपास के कई लोगों ने स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभायी तथा अंग्रेजों की लाठियां भी खायी. जेल भी गए. कई सरकारी दफ्तरों को कर दिया गया था आग के हवाले जिले के कदवा प्रखंड मुख्यालय के आसपास के लोगों की मानें तो वर्ष 1942 में जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया था तो इस क्षेत्र के लोगों में आजादी को लेकर उबाल आ गया तथा गांधी जी के आह्वान के साथ हो गए. यहां के क्रांतिकारियों ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए कदवा थाना में आग लगा दी. रेल की पटरियां उखाड़ दिया. साथ ही कई सरकारी दफ्तरों को भी आग के हवाले कर दिया. बताया जाता है कि आंदोलन के दौरान ब्रिटिश पुलिस की लाठी की मार से कुम्हारी निवासी खक्खन मिश्र शहीद हो गए. साथ ही झौआ निवासी झिंगर मंडल ब्रिटिश सिपाही की गोली से शहीद हो गए. कदवा के स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि ब्रिटिश हुकूमत काल में तत्कालीन एक दरोगा को क्रांतिकारियों ने बंधक बनाकर बलि देने की तैयारी कर रहे थे. पर उसे बचा लिया गया. स्थानीय लोगों की मानें तो इस क्षेत्र के क्रांतिकारियों की एक से एक वीरगाथा प्रचलित है. इसी तरह डंडखोरा के क्रांतिकारियों ने भी अपने अदम्य साहस के बल पर आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया. डंडखोरा प्रखंड मुख्यालय के समीप संगत चोला निवासी महावीर मंडल आजादी की लड़ाई के दौरान कोलकाता गए थे. जहां उन्हें अंग्रेजों ने यातना दी. स्वतंत्रता सेनानी महावीर मंडल के नाती ललन मंडल ने बातचीत में बताया कि उस दौरान कोलकाता में वह घायल भी हो गए थे. जंग-ए- आजादी में इनकी रही महत्वपूर्ण भूमिका जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत कदवा, कुंमहड़ी, मुहम्मदपुर, चांदपुर सहित आसपास के इलाके में कई लोगों ने स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभायी है. इनमें से कई लोगों में अपने प्राणों की आहुति दे दी. जबकि बड़ी संख्या में लोगों ने अलग अलग तरीके से आजादी के जंग को आगे बढ़ाया अंग्रेजों की यातनाओं को भी झेलते रहे. जिनमें मुख्य रुप से विष्णु प्रसाद सिंह, परमेश्वर प्र. सिंह, यमुना प्र. सिंह, मोहन लाल मंडल, गंगा राम प्रसाद सिंह, राम लाल मंडल, परमा नन्द ठाकुर, कमला प्रसाद राय, खक्खन मिश्र, नक्छेदी मंडल, खला नन्द ठाकुर, परमेश्वरी प्रसाद मंडल, रामजी विश्वास, रसूल मियां, सिरथी लाल ठाकुर, हरिहर प्रसाद मंडल, मिसरु प्रसाद मंडल, तुलसी प्रसाद मंडल, दुःख मोचन मिश्र, गोपाल झा, रामेश्वर गोढ़ी, गोपाल चन्द्र सिन्हा शामिल है. इसी तरह डंडखोरा के कई लोगों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. स्थानीय लोगों की माने तो डंडखोरा प्रखंड के डंडखोरा पंचायत अंतर्गत संगत टोला डंडखोरा के महावीर मंडल, दास टोला डंडखोरा फुगलु दास, प्रेमनगर दास टोला लखन मंडल आदि कई लोगों ने जंगे आजादी में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपनी कर्मठता का परिचय दिया है. वर्ष 2003 में स्वतंत्रता सेनानी विष्णु प्रसाद सिंह के पुत्र सुमंत कुमार सिंह ने तत्कालीन मुखिया के रूप में कदवा प्रखंड मुख्यालय में शहीद स्तंभ का निर्माण कराया. जिसमें प्रमुख शहीदों के नाम अंकित है.
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