अंगीभूत कॉलेज में 43 वर्षों से कर्मचारियों की नियुक्ति नदारद, अनुकंपा के सहारे व्यवस्था

अंगीभूत कॉलेज में 43 वर्षों से कर्मचारियों की नियुक्ति नदारद, अनुकंपा के सहारे व्यवस्था

By RAJKISHOR K | December 10, 2025 7:06 PM

– कॉलेज प्रबंधन को बहाना पड़ रहा पसीना, प्रयोग में बीता जा रहा समय – 1982 के बाद नहीं हुई सरकार की ओर से नियुक्ति – स्वीकृत पद के एक तिहाई भी नहीं हैं कर्मी – तृतीय व चतुर्थ वर्गीय सभी पर कार्यारत हैं अनुकम्पा पर बहाल कर्मी सरोज कुमार, कटिहार उच्च शिक्षा की हालत बद से बदतर है. नयी शिक्षा नीति 2020 भले ही 2035 तक उच्चतर शिक्षा में 50 फीसदी सकल नामांकन अनुपात की बात की गयी है. लेकिन धरातल पर ठीक इसके विपरीत नजर आ रहा है. खासकर अंगीभूत महाविद्यालयों में कर्मचारियों की बात करें तो पिछले 43 वर्षों से नियुक्ति नहीं होने की वजह से अनुकम्पा के सहारे व्यवस्था किसी तरह खींचा जा रहा है. सीधे अनुकम्पा पर पाल्यों की नियुक्ति की जाती है. लेकिन स्कील्ड नहीं होने के कारण कॉलेज प्रशासन को दिन पर दिन केवल प्रयोग के नाम पर दिन बीत रहा है. कॉलेज में कर्मचारियों की भारी कमी की वजह से समय पर कार्य नहीं होने का विवि से लेकर कॉलेज प्रशासन की ओर से रोना रोया जाता है. सीमांचल बाढ़ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण अधिकांश अभिभावक गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे हैं. ऐसे में उधार पैंचा लेकर पाल्यों को जिला से बाहर नामांकन को मजबूर हो जा रहे हैं. मालूम हो कि जिले में चार अंगीभूत कॉलेजों में डीएस काॅलेज, केबी झा कॉलेज, एमजेएम महिला कॉलेज व एकमात्र अनुमंडल स्तरीय पीयू का एकमात्र अंगीभूत इकाई आरडीएस कॉलेज सालमारी है. जहां कर्मचारियों की 1982 के बाद से कई कॉलेजों में शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति के प्रति सरकार गंभीर नहीं है. कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर घोषणा तो कर रही है लेकिन सतर्क होकर इस पर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण अंगीभूत महाविद्यालयों में कर्मचारियों की कमी के कारण हालत खास्ता है. चार कॉलेजों में 181 कर्मचारियों के स्वीकृत पद के विरूद्ध 41 कार्यरत जिले के चारों अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकेत्तर कर्मचारी चतुर्थ व तृतीय वर्गीय कर्मचारियों के स्वीकृत पदों की संख्या 181 में मात्र 41 कार्यरत हैं. 41 में अधिकांश अनुकम्पा पर बहाल हैं. एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष अमित पासवान का कहना है कि सरकार बजट में सर्वाधिक 19 प्रतिशत खर्च शिक्षा पर ही करती है. लेकिन उच्च शिक्षा में वो खर्च दिखता नहीं है. आरडीएस कॉलेज सालमारी में चतुर्थ व तृतीय वर्गीय कर्मचारियों के लिए 22 स्वीकृत संख्या है. जिसमें तृतीय कर्मचारियों में एक अनुकम्पा पर कार्यरत है. एमजेएम महिला कॉलेज में 20 स्वीकृत संख्या में तीन व चतुर्थ वर्गीय संख्या में 12 रिक्त चल रहे हैं. डीएस कॉलेज में 76 में 11 सभी अनुकम्पा पर है बहाल एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष अमित पासवान का कहना है कि पूर्वोतर बिहार का नामी गिरामी डीएस कॉलेज में शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की संख्या नहीं के बराबर है. 76 स्वीकृत संख्या में तृतीय व चतुर्थ वर्ग में महज 11 कर्मचारी कार्यरत है. वो भी सभी के सभी अनुकम्पा पर है. तृतीय वर्गीय कर्मचारियों के लिए 28 स्वीकृत संख्या है. 8 और चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 48 में महज तीन कार्यरत सभी के सभी अनुकम्पा पर बहाल है. इसी तरह केबी झा कॉलेज में तृतीय वर्गीय कर्मचारियों मे 8 सेक्शन पोस्ट व 15 रिकोमेंडेंड है. चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के लिए 40 में सात अनुकम्पा पर है. यही वजह है कि अंगीभूत महाविद्यालयों प्रशासन को संचालन में पसीना बहाना पड़ रहा है. घोषणा पर घोषणा पर सरकार नहीं दे रही है ध्यान पिछले तीन से पांच वर्ष कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से घोषणा तो की गयी. लेकिन आज तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. जिसका नतीजा है कि विवि से लेकर सभी महाविद्यालयों में शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की संख्या स्वीकृत संख्या के अनुरूप नगन्य है. सरकार को इसके प्रति सजग होकर सरकार को कर्मचारियों की नियुक्ति पर ध्यान देने की जरूरत है. ताकि महाविद्यालयों का संचालन सुचारू रूप से हो सके. डाॅ मनाेज कुमार पराशर, अध्यक्ष, शिक्षक संघ पूर्णिया विवि

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है