गौरखधंधा, पश्चिम बंगाल से बड़े पैमाने पर रासायनिक उर्वरक पहुंच रहा आजमनगर
गौरखधंधा, पश्चिम बंगाल से बड़े पैमाने पर रासायनिक उर्वरक पहुंच रहा आजमनगर
आजमनगर प्रखंड क्षेत्र पश्चिम बंगाल का सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण रासायनिक उर्वरक की कालाबाजारी के जाल में पूरी तरह फंस चुका है. प्रत्येक दिन रासायनिक उर्वरक से लदे दर्जनों ट्रैक्टर व जुगाड़ गाड़ी आजमनगर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंजीकृत दुकानों में पहुंचती है. जहां से किसानों को निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत चुकाकर खाद की खरीदारी करने पर मजबूर होना पड़ता है. जानकारी के अनुसार आजमनगर प्रखंड क्षेत्र में 81 दुकान पंजीकृत है. लेकिन 62 सक्रिय रूप से कार्य कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त पंजीकृत दुकानों की आड़ में नियमों को दरकिनार करते हुए सैकड़ों दुकान सक्रिय रूप से खुलेआम बंगाल निर्मित खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब उर्वरक निरीक्षक क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में कार्यरत हैं तो इतने बड़े पैमाने में उर्वरक की कालाबाजारी कैसे हो रही है. गैर लाइसेंसी दुकानदार खुलेआम कालाबाजारी करने का एकमात्र कारण है कि आजमनगर कृषि कार्यालय में एक कर्मचारी पिछले 10 वर्षों से कुंडली मारे बैठे है. बताया जाता है कि उसके ही संरक्षण में खाद का पूरा गोरखधंधा चलाया जा रहा है. बंगाल निर्मित उर्वरक का आजमनगर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न दुकानों रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले में खुलेआम पहुंचाया जाना तथा इस पर अंकुश नहीं लग पाना एवं किसानों के द्वारा लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई का नहीं होना कृषि विभाग की लचर व्यवस्था को दर्शाता है. कहते हैं बीएओ प्रखंड कृषि पदाधिकारी उत्तम चौधरी ने जानकारी देते हुए कहा कि मामला संज्ञान में नहीं था. लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों की उर्वरक के निरीक्षण के लिए अर्चना कुमारी, सदानंद मंडल, विनोद कुमार प्रसाद, चंदन कुमार शामिल है. इन लोगों के कार्यरत होने के बावजूद कालाबाजारी का होना जांच का विषय है.
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