अधौरा व चैनपुर में ऑफलाइन सिस्टम का सहारा लेकर गरीबों के हक पर डाका

पहाड़ी इलाकों में नेटवर्क का बहाना, पीडीएस और मनरेगा में गड़बड़ी का आरोप

By VIKASH KUMAR | December 14, 2025 4:31 PM

पहाड़ी इलाकों में नेटवर्क का बहाना, पीडीएस और मनरेगा में गड़बड़ी का आरोप = सामाजिक कार्यकर्ता व ग्रामीणों ने ऑनलाइन भुगतान करने के लिए जिला प्रशासन से लगायी फरियाद भभुआ नगर. जिले के अधौरा व चैनपुर प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित पंचायतों में आज भी जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस दुकानों से ऑफलाइन अनाज वितरण किया जा रहा है. जबकि, हकीकत यह है कि इन्हीं पहाड़ी इलाकों में अधिकांश लोग अब मोबाइल, वीडियो कॉल और इंटरनेट के माध्यम से आपसी संपर्क कर रहे हैं. ऐसे में नेटवर्क के अभाव का बहाना बनाकर पीडीएस दुकानदारों द्वारा गरीब लाभुकों के हक का अनाज हड़पने का आरोप लगातार सामने आ रहा है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कुछ माह पूर्व तक इन क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या गंभीर थी, लेकिन वर्तमान समय में स्थिति काफी हद तक बदल चुकी है. पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ी है और अधिकतर गांवों में कॉलिंग व इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है. लोग रोजमर्रा के काम वीडियो कॉल के जरिए कर रहे हैं और प्रवासी मजदूर भी अपने परिजनों से आसानी से संपर्क में हैं. इसके बावजूद पीडीएस दुकानदार जानबूझकर ऑफलाइन वितरण दिखाकर मनमानी कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अधौरा और चैनपुर प्रखंड के एक-दो या दो-तीन गांव ऐसे जरूर हैं, जहां अब भी नेटवर्क की समस्या बनी हुई है, लेकिन पूरे प्रखंड को नेटवर्कविहीन बताना सरासर गलत है. इसके बावजूद लगभग सभी पीडीएस दुकानदार नेटवर्क नहीं होने का हवाला देकर ई-पॉस मशीन से अंगूठा सत्यापन नहीं कराते हैं और ऑफलाइन वितरण दिखाकर अनाज की कालाबाजारी करते हैं. कई लाभुकों को पूरा अनाज नहीं दिया जाता, जबकि कागजों में पूरा वितरण दर्शा दिया जाता है. पीडीएस के साथ-साथ मनरेगा योजना में भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिल रही है. पहाड़ी क्षेत्रों में मनरेगा कार्यों का संचालन ऑफलाइन तरीके से किया जा रहा है. मजदूरों की हाजिरी कागजों पर बनाई जाती है, जबकि डिजिटल उपस्थिति अनिवार्य है. इससे फर्जी मजदूरी भुगतान और गड़बड़ी की आशंका लगातार बनी रहती है. इधर बिदूरी, तला, गडके सहित कई गांवों के ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से मांग की है कि पीडीएस और मनरेगा में नेटवर्क का बहाना बनाकर की जा रही गड़बड़ियों की उच्चस्तरीय जांच करायी जाये. जिन गांवों में वास्तव में नेटवर्क नहीं है, वहां वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, लेकिन जहां नेटवर्क उपलब्ध है, वहां ऑनलाइन प्रणाली को सख्ती से लागू किया जाये. साथ ही दोषी पीडीएस दुकानदारों और संबंधित कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई कर गरीबों के हक की रक्षा की जाये.

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