किसान की सुध लेने वाला कोई नहीं : खेतों में नमी, महंगे हार्वेस्टर व क्रय केंद्र बंद
किसानों ने हार्वेस्टर के दाम निर्धारित करने व धान की खरीदारी प्रारंभ करने के लिए जिला प्रशासन से की मांग
= खेतों में नमी के कारण नहीं चल रहा बड़ा हार्वेस्टर, छोटे हार्वेस्टर के संचालक मांग रहे मनमाने रुपये = 2500 से 3000 रुपये प्रति एकड़ धान कटाई के लिए किसानों को देने पड़ रहे अधिक रुपये = किसानों ने हार्वेस्टर के दाम निर्धारित करने व धान की खरीदारी प्रारंभ करने के लिए जिला प्रशासन से की मांग जिले के किसान क्रय केंद्र बंद होने से ओने-पौने दाम पर बेच रहे धान भभुआ नगर. जिले के किसान इन दिनों दोहरी मार झेलने को विवश हो रहे हैं. एक तरफ मौसम का साथ नहीं मिल रहा, तो दूसरी तरफ विगत महीने हुई भारी बारिश के कारण अभी भी खेतों में अत्यधिक नमी बनी है. खेतों में गीलापन अधिक होने के कारण बड़े हार्वेस्टर ठीक से नहीं चल पा रहे हैं. ऐसे में किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए चैन वाले छोटे हार्वेस्टर मशीनों के संचालक मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं. किसान बताते हैं कि बड़े हार्वेस्टर से धान की कटाई का सामान्य दर 1800 से 2200 रुपये प्रति एकड़ है, लेकिन खेत में नमी के कारण बड़ी मशीनें चलने में पूरी तरह असमर्थ हैं. दूसरी ओर चैन वाली छोटे हार्वेस्टर के संचालक धान की कटाई के लिए 3500 से 4000 रुपये प्रति घंटे तक वसूल रहे हैं. इससे कुल लागत 4500 से 5000 रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच जा रही है. इस भारी खर्च से किसान आर्थिक रूप से टूटते जा रहे हैं. किसानों की दूसरी बड़ी परेशानी सहकारी समिति (पैक्स) द्वारा धान खरीदारी शुरू नहीं किया जाना भी है. पैक्स केंद्रों के बंद होने से किसान अपनी उपज सरकारी दर पर बेचने से वंचित हो जा रहे हैं. मजबूरी में किसानों को निजी व्यापारियों के हाथों ओने-पौने दाम पर अपने धान बेचने पड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें खाद-बीज, मजदूरी और हार्वेस्टर संचालकों का भुगतान तत्काल करना होता है. जबकि, कई किसानों के घरों में बेटियों की शादी जैसे जरूरी कार्यक्रम तय हैं, ऐसे में पैसों की जरूरत और अधिक बढ़ जाती है. किसान कहते हैं कि समय पर सरकारी खरीदारी शुरू न होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गयी है और वे औने-पौने दाम में धान बेचने के लिए विवश हैं. किसानों का आरोप है कि वे लगातार अपनी समस्या प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन कहीं से भी कोई ठोस समाधान नहीं मिल रहा. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन तक सभी चुप्पी साधे हैं. किसान कहते हैं कि सिर्फ कागजों और मंचों पर ही सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है. किसानों का कहना है कि जब तक व्यापारियों के गोदाम धान से भर नहीं जाते, तब तक सरकारी क्रय केंद्र खोलने की पहल नहीं होती है. इससे सबसे बड़ा नुकसान गरीब और सीमांत किसानों को होता है, किसान अब जल्द से जल्द पैक्स केंद्रों पर धान खरीदारी शुरू कराने, हार्वेस्टर का किराया नियंत्रित करने और खेतों की स्थिति को देखते हुए विशेष राहत पैकेज देने की मांग कर रहे हैं. किसानों का दर्द यही है कि यदि समय रहते प्रशासन ने इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया, तो जिले में कृषि संकट और गहरा जायेगा. किसानों ने जिला प्रशासन से हार्वेस्टर का मूल्य निर्धारण करने व सहकारी क्रय केंद्र खोलने की गुहार लगायी है. = रबी फसल पर भी मौसम की मार गौरतलब है कि जिले के किसान इस समय दोहरी मार झेल रहे हैं और इसका सीधा असर आगामी रबी फसल पर पड़ने लगा है. 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक गेहूं की बुआई का निर्धारित समय माना जाता है. लेकिन विगत दिनों हुई बारिश के कारण खेतों में अभी भी काफी नमी बनी हुई है. किसान बताते हैं कि जब तक पछुआ हवा नहीं चलेगी, खेत सूख नहीं पायेंगे और समय पर गेहूं की बुआई संभव नहीं होगी. ऐसे में बुआई का समय लगातार पीछे खिसकता जा रहा है. यदि खेत जल्द नहीं सूखे तो किसानों को निर्धारित अवधि से बाहर बुआई करनी पड़ेगी, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ सकता है. किसान चिंतित हैं कि मौसम की मार और देर से बुआई दोनों मिलकर इस वर्ष रबी फसल की पैदावार को प्रभावित कर सकते हैं. = क्या कहते हैं किसान – सदर प्रखंड के नवागांव के किसान संदीप चौबे ने बताया कि सरकार सिर्फ कागजों और मंचों पर ही किसानों की हितैषी दिखती है, जबकि जमीन हकीकत यह है कि किसानों की समस्याएं अनसुनी कर दी जाती हैं. उन्होंने कहा कि किसान इस समय दोहरी मार झेल रहे हैं. एक तरफ मौसम और महंगे हार्वेस्टर का संकट, दूसरी ओर सहकारी समितियों द्वारा खरीदारी का कार्य शुरू नहीं करने से किसान मजबूरी में व्यापारियों को ओने-पौने दाम पर अपने धान बेचने को विवश हो रहे हैं, पर उनकी समस्याओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है. – रामपुर प्रखंड के पसाई गांव निवासी किसान अभय सिंह ने बताया कि खराब मौसम का चैन वाले हार्वेस्टर संचालक भरपूर फायदा उठा रहे हैं और धान कटाई के लिए मनमाना पैसा मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसान पहले ही मौसम और नमी के संकट से जूझ रहे हैं, ऊपर से बढ़ा हुआ किराया बड़ी परेशानी बन गया है. अभय सिंह ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि कटाई के लिए तय रेट निर्धारित कर किसानों को राहत दी जाये.
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