दुर्गावती मुख्य नहर बाइपास पर उड़ते धूल के गुब्बार से चलना हुआ मुश्किल
बगल से वाहन गुजरने पर पैदल व बाइक सवारों पर जम जा रही धूल की परत
फोटो 10 वाहनों के गुजरने से उड़ता धूल का गुब्बार 11 अशोक कुमार सिंह 12 अयोध्या कुमार 13 अविनाश पांडेय 14 अधिवक्ता बिन्देश्वरी राम बगल से वाहन गुजरने पर पैदल व बाइक सवारों पर जम जा रही धूल की परत # अगस्त से लेकर आधे नवंबर तक किया जाता रहा गड्ढ़ों को बराबर # नहर बाइपास का कालीकरण शुरू, नये साल में धूल से राहत की उम्मीद मोहनिया सदर. दुर्गावती मुख्य नहर बाइपास पर वाहनों के आवागमन से उड़ने वाले धूल के गुब्बार से राहगीरों व नहर की बगल वाली बस्ती में रहने वालों का जीना दुश्वार हो गया है. छोटे से लेकर भारी वाहनों के गुजरने से इस कदर धूल उड़ रही है, मानों धूल भरी आंधी आ गयी हो. यदि आप पैदल, बाइक से या खुली गाड़ी पर सवार होकर उक्त पथ से गुजरते हैं, तो निसंदेह आप के कपड़ों पर धूल की परत जम जायेगी. स्थिति यह है कि यदि आपकी बगल से कोई बड़ा वाहन गुजरता है, तो कुछ देर तक तो 20 मीटर से आगे आपको कुछ दिखायी भी नहीं देगा. क्योंकि, उड़ती धूल से पूरा मार्ग लिपटकर दिखना बंद हो जाता है. लंबे समय बाद ही सही लेकिन उक्त नहर बाईपास का कालीकरण पसपिपरा के समीप से शुरु कर दिया गया है. उक्त पथ का लगभग 13 किलोमीटर तक कालीकरण किया जाना है. पूरब में पसपिपरा के समीप से लेकर पश्चिम में सियापोखर तक उक्त पथ का निर्माण कार्य किया जाना है. अगस्त माह से लेकर नवंबर के पहले सप्ताह के बीच कई बार गिट्टी डालकर दसौंती चौराहा से पसपिपरा के बीच उक्त पथ को बराबर किया जाता रहा. जुलाई में उक्त पथ पर उभरे गहरे गड्ढों में पानी भरने व सड़क पर मिट्टी फैलने से छोटे वाहनों का चलना मुश्किल हो गया था, लेकिन अगस्त में उक्त बाइपास पथ पर गिट्टी डालकर बराबर कराने से राहगीरों को काफी सहूलियत हो गयी थी, लेकिन बरसात बितते ही अब उड़ने वाले धूल से लोग परेशान हैं. धूल सबसे अधिक एलर्जी वाले मरीजों के लिए घातक साबित हो रही है. इस समय लगभग 11 किलोमीटर के बीच उक्त पथ पर उड़ते धूल के गुब्बार ने लोगों के नाक में दम कर रखा है. दसौंती चौराहा एनएच 319 ए से लेकर पसपिपरा एनएच 319 को जोड़ने वाली दुर्गावती मुख्य नहर बाइपास सड़क पटना से रामगढ़ के लिए आने जाने वाले भारी वाहनों के लिए सबसे उपयुक्त पथ है. क्योंकि शहर में सुबह के नौ बजे से रात नौ बजे तक भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहता है, साथ ही आरओबी 60 के क्षतिग्रस्त होने से उस पर भारी वाहनों के आवागमन को प्रतिबंधित कर लंबे समय से ओवर हाइट बैरियर लगाया गया है, जिससे उक्त पथ पर भारी वाहनों का दबाव अधिक हो गया है. वहीं, जिस गति से नहर बाइपास पथ का कालीकरण किया जा रहा है, उम्मीद है कि नये वर्ष 2026 के जनवरी से उक्त पथ से गुजरने वाले लोगों को धूल भरी आंधी से निजात मिल जायेगी. # क्या कहते हैं लोग – सरहुल के रहने वाले अशोक कुमार सिंह कहते है कि दुर्गावती मुख्य नहर बाइपास पर तो चलना मुश्किल हो गया है. चार पहिया वाहन भी यदि बगल से गुजर गया, तो बाइक वाले तो धूल से नहा लेते है. लेकिन अब कालीकरण शुरु हो गया है, जो दिसंबर तक लगता है पूर्ण हो जायेगा – बघिनी के अयोध्या कुमार कहते है कि जुलाई में गड्ढों में पानी भरने, कीचड़ व फिसलन से चलना मुश्किल हो गया था. अगस्त में संवेदक ने गिट्टी डालकर उक्त पथ को बराबर करवा दिया, तो काफी राहत मिल गयी. लेकिन अब तो धूल इस तरह उड़ रहीं है कि पैदल व मोटरसाइकिल सवार तो धूल से सफेद हो जा रहे है. सड़क का पूर्ण निर्माण हो जायेगा तो धूल से राहत मिल जायेगी. – बहदुरा के रहने वाले अविनाश पांडेय कहते है कि नहर की बगल जिनका घर है, उन लोगों का तो उड़ते धूल से जीना मुश्किल हो गया है. नहर किनारे खेतों में लगी फसल पर भी इस धूल का प्रतिकूल असर पड़ रहा है. तीन महीने से सड़क को गिट्टी डालकर कई बार बराबर किया गया, लेकिन कालीकरण नहीं करने से वाहनों के आवागमन से उड़ते धूल के गुब्बार ने इस पथ पर चलना दुश्वार कर दिया है. – सुखपुरवां के वरिष्ठ अधिवक्ता बिन्देश्वरी राम कहते है कि एनएच 319 पर बाइक से चलना खतरे से खाली नहीं है. पहले नहर बाइपास खतरनाक गहरे गड्ढों में तब्दील हो गया था. जुलाई में तो गहरे गड्ढों में भरे पानी से पता ही नहीं चलता था कि सड़क पर गड्ढा है या गड्ढे में सड़क है. लेकिन अगस्त में गिट्टी डालकर बराबर कर दिया गया, रास्ता काफी हद तक सुगम हो गया. लेकिन अब उक्त पथ पर वाहनों के आवागमन से उड़ती धूल ने सांस लेना मुश्किल कर दिया है, लेकिन पूरब की तरफ से कालीकरण शुरु कर दिया गया है.
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