मनाही के बावजूद पिछले एक साल से नप सैरातों से करा रहा विभागीय वसूली

नगर पर्षद द्वारा सैरात यानी बस स्टैंड, ठेला, खोमचा, इ-रिक्शा, टेंपों से वसूले जानेवाले टैक्सों की वसूली विभागीय कराये जाने में लूटखसोट को लेकर लगातार हंगामा मचा हुआ है.

By Prabhat Khabar | April 28, 2024 9:57 PM

भभुआ कार्यालय. नगर पर्षद द्वारा सैरात यानी बस स्टैंड, ठेला, खोमचा, इ-रिक्शा, टेंपों से वसूले जानेवाले टैक्सों की वसूली विभागीय कराये जाने में लूटखसोट को लेकर लगातार हंगामा मचा हुआ है. नगर पर्षद में स्थिति यह हो गयी है कि पार्षद व अध्यक्ष व उपाध्यक्ष आमने-सामने हो गये हैं. शनिवार को जो नजारा नगर पर्षद में देखने को मिला, वह नगर पर्षद को शर्मसार कर देनेवाला था. जिस तरह से गाली गलौज व मारपीट की नौबत उत्पन्न हुई, उसे देखकर यहीं लगा कि यह किसी सरकारी कार्यालय का नजारा नहीं हो सकता है. उपाध्यक्ष प्रतिनिधि द्वारा यह कहा जाना कि सैरातों की वसूली में पैसे के लिए पार्षद हंगामा कर रहे हैं, तो वहीं पार्षदों द्वारा सैरातों की वसूली से आने वाले रुपये में एक महीने तीन से चार लाख रुपये गबन का आरोप लगाया जाना गंभीर चिंता का विषय है. दोनों पक्षों के बातों ने एक बात को स्पष्ट कर दिया कि निश्चित रूप से सैरातों की वसूली में बड़ा गड़बड़झाला है. सबसे बड़ी बात यह है कि राजस्व व भूमि सुधार विभाग द्वारा दो दो बार पत्र देकर सैरातों की विभागीय वसूली नहीं कराने के पत्र के बावजूद भभुआ का नगर पर्षद पिछले एक साल से अधिक समय से सैरातों की विभागीय वसूली कर रहा है और नगर पर्षद की बोर्ड द्वारा पिछले एक सालों में बिना टेंडर विभागीय वसूली कराना व उसमें लूटखसोट को लेकर मचा घमासान स्पष्ट रूप से गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में श्री प्रियेश कुमार को नगर पर्षद के सैरातों से टैक्स वसूली का टेंडर एक करोड़ 23 लाख 66 हजार 180 रुपये में दिया गया था. इसमें उनके द्वारा एक करोड़ 10 लाख 1910 रुपया जमा किया गया. उनके द्वारा औसतन प्रत्येक महीने सैरातों से नौ लाख रुपये जमा किया गया और उन्होंने लगभग 10 लाख रुपये महीने टैक्स वसूली पर टेंडर लिया था. उसके बाद जब एक अप्रैल 2023 से टेंडर के बजाय विभागीय वसूली करायी गयी, तो सैरातों से वसूली का राजस्व गिरकर अप्रैल महीने में पांच लाख 42 हजार 800 रुपये पर पहुंच गया. इस तरह से पहले महीने से ही नगर पर्षद को विभागीय वसूली में तीन से चार लाख रुपये का नुकसान होने लगा. नुकसान के बावजूद नगर पर्षद की आंखें नहीं खुली और वह विभागीय वसूली को प्रोत्साहन पिछले एक सालों से देता आ रहा है. नगर पर्षद के अध्यक्ष व अधिकारियों का कहना है कि टेंडर में किसी के भाग नहीं लेने के कारण विभागीय वसूली करायी जा रही है. बड़ी बात यह है कि टेंडर का न्यूनतम दर जब बहुत अधिक हो गया है, तो समिति के द्वारा प्रावधान के मुताबिक न्यूनतम दर का पुर्ननिर्धारण क्यों नहीं किया जा रहा है. ताकि टेंडर के माध्यम से सैरातों की वसूली हो. आखिर नगर पर्षद सैरातों से विभागीय वसूली को क्यों बढ़ावा दे रहा है. अप्रैल 2023 से अक्तूबर 2023 तक नगर पर्षद के द्वारा सैरातों से विभागीय वसूली करा 43 लाख 42 हजार 925 रूपया जमा किया गया. इसी तरह से छह महीने में सैरातों से औसतन छह लाख रुपये महीना का विभागीय वसूली किया गया. ऐसे में अगर हम टेंडर से विभागीय वसूली की तुलना करें, तो प्रत्येक महीने तीन से चार लाख रुपये कम विभागीय वसूली की जा रही है, यानी कुल मिलाकर हर महीने विभागीय वसूली में नगर पर्षद के राजस्व को तीन से चार लाख का चूना लग रहा है. – विभाग ने विभागीय वसूली को बढ़ावा नहीं देने का दिया है पत्र राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर निदेशक द्वारा तीन अगस्त 2021 व 24 सितंबर 2021 को स्पष्ट रूप से पत्र जारी कर सैरातों की विभागीय वसूली को प्रोत्साहन नहीं देने की बात कही है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि सैरातों को हर हाल में टेंडर के माध्यम से बंदोबस्त करें. विभागीय वसूली से जहां मानव बल का विचलन होता है. वहीं, दूसरी तरफ प्रतिस्पर्धा का अभाव होने के कारण विभाग को राजस्व का नुकसान होता है. ऐसे में टेंडर के माध्यम से ही राजस्व की वसूली कराने को प्राथमिकता दें. इस पत्र के बावजूद नगर पर्षद सारे आदेश को नजरअंदाज कर पिछले एक साल से अधिक समय से सैरातों से विभागीय वसूली करा रहा है, जो स्पष्ट रूप से नगर पर्षद की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है. – पार्षदों ने लूटखसोट को लेकर अब तक दिया है तीन पत्र नगर पर्षद के 19 पार्षदों द्वारा अभी तक तीन पत्र कार्यपालक पदाधिकारी को दिया जा चुका है, जिसमें कहा गया है कि सैरातों से किये जानेवाले विभागीय वसूली में लूटखसोट किया जा रहा है. प्रत्येक महीने 10 लाख की वसूली हो रही है और नगर पर्षद के खाते में पांच से छह लाख ही जमा किया जा रहा है. हर महीने तीन से चार लाख का गबन किया जा रहा है. इस बीच आठ अप्रैल को कविंद्र पटेल द्वारा एक पत्र कार्यपालक पदाधिकारी को दिया गया ,जिसमें उनके द्वारा सैरातों से वसूली कर दस लाख रुपये महीना राजस्व देने की बात कही गयी और तीन महीने का राजस्व एडवांस में देने की बात उक्त पत्र में कहा गया. उसके ठीक दो दिन बाद दस अप्रैल को पार्षदों ने भी राजस्व को बढ़ावा देने का हवाला दे कविंद्र कुमार से टैक्स वसूली कराने का पत्र दिया गया. लेकिन विभागीय वसूली में बगैर टेंडर के किसी भी प्राइवेट व्यक्ति को टैक्स वसूली के लिए आदेश देने का नियम नहीं होने का हवाला दे कार्यपालक पदाधिकारी ने उसे टैक्स वसूली का आदेश देने से मना कर दिया. – क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी सैरातों से वसूली को लेकर मचे घमासान के बीच पूछे जाने पर कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि सैरातों से विभागीय वसूली को किसी भी परिस्थिति में विभाग के निर्देश के मुताबिक बढ़ावा नहीं देना है. आचार संहिता समाप्त होने के बाद सैरातों से वसूली के लिए तत्काल टेंडर कराया जायेगा. पार्षद भी विभागीय वसूली को बढ़ावा न दें और पार्षदों ने ही बोर्ड में शिवप्रकाश नाम के कर्मी के नाम पर विभागीय वसूली का बोर्ड में निर्णय लिया था, जिसके बाद उनसे विभागीय वसूली करायी जा रही है. अब एक बार फिर किसी दूसरे व्यक्ति का नाम दे रहे हैं, जोकि नियम के विरुद्ध हैं. हमारा प्रयास है कि हम जल्द से जल्द सैरातों का आचार संहिता खत्म होने के बाद टेंडर कराना सुनिश्चित करें.

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