डीसीएलआर कोर्ट के आदेश को निरस्त कर तत्कालीन सीओ ने लोगों की बढ़ा दी मुश्किलें
दाखिल खारिज अपीलवाद में अपीलीय न्यायालय के कद को सीओ ने कर दिया बौना
दाखिल खारिज अपीलवाद में अपीलीय न्यायालय के कद को सीओ ने कर दिया बौना # कुदरा व मोहनिया में पदस्थापन के दौरान विवादों में घिरी रही हैं सीओ # अंचल से जुड़े कर्मचारी, वरीय पदाधिकारी व भूमि वाद से जुड़े लोग भी सीओ से रहे परेशान # प्रभात एक्सक्लूसिव # मोहनिया सदर. मोहनिया की तत्कालीन सीओ शशि सिंह ने अपनी मनमानी को दर्शाते हुए दाखिल खारिज अपीलवाद में अपने वरीय पदाधिकारी डीसीएलआर के आधा दर्जन से अधिक पारित आदेश को निरस्त कर अपीलीय न्यायालय के आदेश का कद ही बौना कर दिया है. हालांकि, इस मामले के संज्ञान में आते ही डीसीएलआर कमलाकांत द्विवेदी ने भी सीओ के खिलाफ स्पष्टीकरण जारी कर 24 घंटा के अंदर जवाब तलब किया. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में भूमि से संबंधित मामलों को काफी समय तक लंबित रखने के बाद उन मामलों को यह कहते हुए कि संलग्न दस्तावेज अपूर्ण, अपठनीय व आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं जैसी भाषा हू- बहू दोहराते हुए 81 मामलों को अस्वीकृत कर दिया गया था. जबकि, दाखिल खारिज के सिर्फ 28 मामले ही 06 अक्तूबर से 06 नवंबर 2025 यानी एक माह के बीच स्वीकृत किये गये थे, इसी मामले में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कार्रवाई करते हुए मोहनिया सीओ के पद से शशि सिंह को हटा दिया है. हालांकि, सीओ की मनमानी से भूमि संबंधित मामलों से जुड़े आमजन ही नहीं बल्कि इनके अधिनस्थ कर्मचारी व वरीय पदाधिकारी भी त्रस्त रहे है. फिलहाल सीओ के इस कार्य से सबसे अधिक परेशानियों का सामना तो उन लोगों को करना पड़ रहा है, जिनके मामलों को सीओ द्वारा गलत तरीके से अस्वीकृत कर दिया गया है. 2020-21 में सीओ के दो वेतन वृद्धि पर लगायी गयी थी रोक कुदरा में सीओ के पद पर पदस्थापन के दौरान शशि सिंह पर वर्ष 2020-21 में ऑनलाइन एलपीसी के 143 मामलों में से 107 मामले अस्वीकृत करने, वित्तीय वर्ष 2021-22 में ऑनलाइन एलपीसी के 28 मामलों में से 09 मामले अस्वीकृत करने व 09 मामले लंबित रखने तथा चार मामले कालबाधित होने के संबंध में सीओ द्वारा कोई संतोषप्रद कारण नहीं बताने जैसे आरोपों में तत्कालीन जिलाधिकारी के पत्रांक 2027, 27 जून 2021 द्वारा दाखिल खारिज वादों के निष्पादन में गंभीर लापरवाही बरतने, राजस्व कर्मचारी के कार्यों का समुचित रूप से पर्यवेक्षण नहीं करने, कार्यों के निष्पादन में अभिरुचि नहीं लेने जैसे मामलों में कार्रवाई करते हुए सरकार के संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय द्वारा अंचलाधिकारी के दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गयी थी. हालांकि बाद में इस मामले में सीओ शशि सिंह को दोष मुक्त कर दिया गया था, लेकिन कुदरा और मोहनिया दोनों जगह पदस्थापन के दौरान सीओ के लिए कांटो भरा रहा है. # अपीलीय न्यायालय के आदेश को लगाया धत्ता, तो हुआ स्पष्टीकरण कटसरियां की माया देवी के तीनों दाखिल खारिज वाद, पंकज कुमार व कृष्ण कुमार के दाखिल खारिज वाद जिसको सीओ द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया था, उस अपीलवाद के मामलों की सुनवाई करते हुए डीसीएलआर ने सीओ के उस आदेश को निरस्त कर दाखिल खारिज अपीलवाद को स्वीकृत किया था. इसके बावजूद जब सीओ द्वारा डीसीएलआर के आदेश को निरस्त कर दिया गया और इसकी शिकायत पीड़ितों ने डीसीएलआर से की, तो उनके द्वारा सीओ को स्पष्टीकरण जारी करते हुए लिखा गया कि बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 की धारा 8(2) के प्रावधान के अनुसार भूमि सुधार उप समाहर्ता के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति उस आदेश के 30 दिनों के भीतर समाहर्ता-अपर समाहर्ता के समक्ष पुनरीक्षण हेतु आवेदन दायर कर सकता है, परंतु आपके द्वारा बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 की धारा 8(2) को नजरअंदाज करते हुए माया देवी के दाखिल खारिज आवेदन संख्या 1835/2025-26, 1836/2025-26, 1837/2025-26, पंकज कुमार व कृष्ण कुमार के दाखिल खारिज वाद 2326/2025-26 को अस्वीकृत कर दिया गया. आपके द्वारा पारित किये गये आदेश में किसी भी पुनरीक्षणवाद संख्या और उसमें प्राप्त आदेश का उल्लेख नहीं किया गया है, इससे स्पष्ट होता है कि आपके द्वारा अवैध रूप से उक्त दाखिल खारिज वाद को अस्वीकृत किया गया है. स्पष्ट करें कि आपके द्वारा किन नियमों के तहत अपीलीय न्यायालय के आदेश के विरुद्ध आदेश पारित किया गया है साथ ही यह भी स्पष्ट करें कि अपीलीय न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट पक्ष को पुनरीक्षणवाद दायर करना चाहिए अथवा राजस्व अधिकारी-अंचल अधिकारी से संपर्क करना चाहिए उक्त मामले में आपके द्वारा किया गया यह कार्य आपके कार्य के प्रति लापरवाही, मनमानेपन, स्वेच्छाचारिता एवं वरीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना है उक्त कृत के लिए क्यों नहीं आपके विरुद्ध आरोप पत्र गठित कर विभाग को संसूचित कर दिया जाये. इन मामलों को सीओ ने डीसीएलआर कोर्ट के आदेश को किया खारिज # केस नंबर 01 # नगर पंचायत के रसूलपुर करमहरी के नागेंद्र सिंह द्वारा मौजा सियापोखर में खाता संख्या 27/39, प्लाट संख्या 463 रकबा 25 डिसमिल भूमि शैलेश तिवारी से 18 जुलाई 2023 को रजिस्टर्ड केबाला संख्या 6925 के माध्यम से खरीद किया गया है, जिसके दाखिल खारिज के लिए अपिलार्थी नागेंद्र सिंह ने अंचल अधिकारी के यहां ऑनलाइन दाखिल खारिज वाद संख्या 2177आर27/2023-24 दायर किया, जिसे सीओ द्वारा यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया गया कि जमाबंदी संयुक्त खाते की है. दस्तावेज अवलोकन से पाया गया कि अन्य हिस्सेदारों की सहमति नहीं होने के कारण विक्रेता का हिस्सा स्पष्ट नहीं है. इसके बाद क्रेता ने सीओ द्वारा अस्वीकृत किये गये दाखिल खारिज वाद के विरुद्ध सीओ को उत्तरवादी बनाते हुए डीसीएलआर कोर्ट में दाखिल खारिज अपीलवाद संख्या 1496/2024-25 दायर कि.या अपीलवाद की सुनवाई के दौरान क्रेता के अधिवक्ता सियाराम ने वंशावली, जमाबंदी पंजी व केबाला प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार विक्रेता खुद जमाबंदी रैयत है और उक्त भूमि के अन्य जमाबंदी रैयत विक्रेता शैलेश तिवारी के पिता व भाई है. उक्त खाता व खेसरा में कुल भूमि का रकबा एक एकड़ साढ़े 33 डिसमिल भूमि है, जिसमें विक्रेता ने अपने हक हिस्सा की भूमि 25 डिसमिल की बिक्री किया है. सभी कागजातों का अवलोकन करने व अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद डीसीएलआर ने सीओ के पारित आदेश को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए 12 जुलाई 2025 को निरस्त कर दिया और अपीलवाद को स्वीकृत कर दिया, उक्त आदेश के आलोक में जब क्रेता ने दाखिल खारिज वाद दायर किया, तो सीओ ने डीसीएलआर कोर्ट के आदेश को ही निरस्त कर दिया. # केस नंबर 02 # इदिलपुर की ममता देवी पति अशोक यादव द्वारा मौजा जिगिना में खाता संख्या 82/68, प्लाट संख्या 25, रकबा 50 डिसमिल भूमि जिगिना के विकास पांडेय व विपिन पांडेय दोनों पिता स्व राम मनोहर पांडेय से 12 अगस्त 2022 को केबाला संख्या 7347 के माध्यम से खरीद किया गया है. इसके बाद दाखिल खारिज के लिए अपिलार्थी ममता देवी ने अंचल अधिकारी के समक्ष दाखिल खारिज वाद संख्या 5191आर27/2022-23 दायर किया, जिसे सीओ द्वारा यह कहते हुये अस्वीकृत कर दिया गया की रैयत की वंशावली व अन्य हिस्सेदारों की सहमति उपलब्ध नहीं करायी गयी है, जिससे स्पष्ट नहीं है कि किसके हिस्से में कितना भूमि है. सीओ के पारित आदेश से असंतुष्ट होकर क्रेता ने सीओ द्वारा अस्वीकृत किये गये दाखिल खारिज वाद के विरुद्ध सीओ को उत्तरवादी बनाते हुए डीसीएलआर न्यायालय में दाखिल खारिज अपीलवाद 370/2024-25 दायर किया. अपीलवाद की सुनवाई के दौरान क्रेता के अधिवक्ता सियाराम ने केबाला व वंशावली डीसीएलआर के सामने प्रस्तुत किया. इसमें प्रश्नगत भूमि के जमाबंदी रैयत हरिशंकर पांडेय हैं@ जमाबंदी रैयत के सभी विधिक वारिशानों द्वारा उक्त भूमि अभिलार्थी के पक्ष में विक्रय की गयी है. सभी कागजातों का अवलोकन करने व अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद डीसीएलआर ने सीओ के पारित आदेश को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए 31 मई 2025 को निरस्त कर दिया व अपीलवाद को स्वीकृत कर दिया न्यायालय के उक्त आदेश के आलोक में जब क्रेता ने दाखिल खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया, तो सीओ ने डीसीएलआर कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया. # केस नंबर 03 # कटसरियां की रहने वाली माया देवी पति सत्येंद्र दूबे ने मौजा कटसरियां में खाता संख्या 06, खेसरा संख्या 367, रकबा 16 डिसमिल भूमि कटसरियां की ही रहने वाली रुकमणी कुंवर पति स्व रामनरेश दूबे से खरीद किया गया है. इसके बाद क्रेता माया देवी ने उक्त भूमि के दाखिल खारिज के लिए बिहार भूमि पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया, जिसका दाखिल खारिज वाद संख्या 3982आर27/2023-24 है. सीओ द्वारा उक्त दाखिल खारिज वाद को 03 जून 2024 को यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया कि विक्रेता व जमाबंदी रैयत के बीच संबंध स्थापित नहीं हो रहा है. सीओ के इस आदेश से असंतुष्ट होकर क्रेता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से डीसीएलआर कोर्ट में सीओ के खिलाफ दाखिल खारिज अपीलवाद 850/2024-25 दायर किया. इसमें अधिवक्ता रमेश कुमार ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के समक्ष सभी साक्ष्यों को प्रस्तुत कर कोर्ट को बताया कि प्रश्नागत भूमि अपिलार्थी को बंटवारा से प्राप्त है, जिसकी जमाबंदी पंजी व वंशावली उपलब्ध .है जमाबंदी रैयत वैद्यनाथ दूबे है. जमाबंदी रैयत की पुत्रवधू ने क्रेता को अपने हक हिस्सा की जमीन बिक्री किया है, सभी साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद डीसीएलआर ने सीओ के पारित आदेश को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए 13 जून 2025 को निरस्त कर दिया और अपीलवाद को स्वीकृत किया, जिसके बाद दाखिल खारिज के लिए क्रेता माया देवी द्वारा जब आवेदन किया गया तो सीओ ने डीसीएलआर कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया. # केस नंबर 04 # कटसरियां के रहने वाले सत्येंद्र दूबे पिता स्व रामनरेश दूबे द्वारा मौजा कटसरियां में खाता संख्या 05, खेसरा संख्या 277, रकबा 05 डिसमिल भूमि की खरीदगी के बाद दाखिल खारिज करने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया. जिसका दाखिल खारिज वाद संख्या 1985आर27/2023-24 है, जिसे सीओ द्वारा यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया गया कि आवेदक द्वारा पूर्व में दाखिल खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया था, जिसका दाखिल खारिज वाद संख्या 596/2023-24 है जो अस्वीकृत है. इसमें जमाबंदी रैयत गौरीशंकर दूबे जीवित है विक्रेता जमाबंदी रैयत के पुत्र है आवेदक द्वारा जमाबंदी रैयत का शपथपत्र एवं वंशावली नही देने के कारण अस्वीकृत किया गया था. क्रेता अधिवक्ता रमेश कुमार के माध्यम से सीओ के पारित आदेश से असंतुष्ट होकर भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में दाखिल खारिज अपीलवाद 847/2024-25 दायर किया सुनवाई के समय अधिवक्ता ने जमाबंदी पंजी व वंशावली प्रस्तुत करते हुये कोर्ट को बताया कि प्रश्नागत भूमि के जमाबंदी रैयत गौरीशंकर दूबे है. जमाबंदी रैयत के पुत्र ने सत्येंद्र दूबे को जमीन बिक्री किया है जमाबंदी रैयत ने स्वंय अपिलार्थी के दावे के समर्थन में अपना जवाब दाखिल किया है सभी कागजी सबूतों व अधिवक्ता के बहस को सुनने के बाद डीसीएलआर ने सीओ के पारित आदेश को 19 जून 2025 को निरस्त करते हुए अपीलवाद को स्वीकृत किया, जिसके बाद सत्येंद्र दूबे ने दाखिल खारिज के लिए आूनलाइन आवेदन किये और सीओ ने डीसीएलआर कोर्ट के आर्डर को अस्वीकृत कर दिया. # केस नंबर 05 # इदिलपुर की ममता देवी पति अशोक यादव ने मौजा बेर्रा में खाता संख्या 35, खेसरा संख्या 185, रकबा एक एकड़ 11 डिसमिल भूमि 11 जनवरी 2023 को केबाला संख्या 186 के माध्यम से खरीद किया गया है. इसके म्यूटेशन के लिए क्रेता ने ऑनलाइन आवेदन किया, जिसका दाखिल खारिज वाद संख्या 465आर27/2023-24 है. उसे सीओ ने यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया कि आवेदक द्वारा जमाबंदी रैयत का वंशावली व अन्य हिस्सेदारों की सहमति उपलब्ध नहीं कराया गया है. इससे स्पष्ट नहीं है कि किसके हिस्से में कितनी भूमि है. सीओ के पारित इस आदेश से विक्षुब्ध होकर क्रेता ने सीओ को उत्तरवादी बनाते हुए अपने अधिवक्ता के माध्यम से भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में दाखिल खारिज अपीलवाद 369/2024-25 दायर किया सुनवाई के क्रम में अधिवक्ता सियाराम ने न्यायालय में केबाला व वंशावली प्रस्तुत कर कोर्ट को बताया कि ग्राम दियां, थाना रामगढ़, अंचल मोहनिया के जमाबंदी रैयत अंबिका पांडेय की मृत्यु पूर्व में हो चुकी है. उनके विधिक वारिशानों द्वारा उक्त भूमि अपिलार्थी ममता देवी के पक्ष में भूमि का वाजिब जरसम्मन मूल्य प्राप्त कर केबाला किया गया है और अपिलार्थी का खरीदगी के समय से ही उक्त भूमि पर शांतिपूर्ण दखल कब्जा चला आ रहा है, सभी सबूतों को देखने व अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद डीसीएलआर ने सीओ के पारित आदेश को 27 मई 2025 को निरस्त कर अपीलवाद को अंगीकृत कर लिया. इसके बाद ममता देवी ने डीसीएलआर कोर्ट के आर्डर के आलोक में सीओ के समक्ष दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया, जिसे सीओ ने खारिज कर दिया.. # केस नंबर 06 # नगर पंचायत डड़वा के पंकज कुमार व कृष्ण कुमार दोनों पिता स्व विरेंद्र शर्मा ने मौजा घेघियां में खाता संख्या 67, खेसरा संख्या 891, रकबा डेढ़ डिसमिल भूमि की खरीद 16 अगस्त 2023 को केबाला संख्या 7555 के माध्यम से साकिम बटेश्वर पांडेय पिता स्व श्रीकृष्ण पांडेय से खरीद किया है. इसके बाद दाखिल खारिज कराने वास्ते ऑनलाइन आवेदन किया गया. उसका दाखिल खारिज वाद संख्या 2707आर 27/2023-24 है, जिसको सीओ द्वारा 05 अक्तूबर 2023 को अस्वीकृत कर अपनी रिपोर्ट में लिखा गया कि प्रतिवेदित भूमि में जमाबंदी संयुक्त खाते की है व जमाबंदी रैयत की वंशावली व अन्य हिस्सेदारों की सहमति उपलब्ध नहीं होने से विक्रेता का हिस्सा स्पष्ट नहीं है. सीओ के पारित इस आदेश से विक्षुब्ध होकर अपिलार्थी ने अपने अधिवक्ता अमरनाथ पांडेय के माध्यम से भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में सीओ के आर्डर के खिलाफ, सीओ को उत्तरवादी बनाते हुए दाखिल खारिज अपीलवाद संख्या 652/2024-25 लाया गया. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने वंशावली प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि जमाबंदी रैयत श्रीकृष्ण पांडेय की मृत्यु के बाद उनके पुत्र बटेश्वर पांडेय द्वारा अपने हिस्सा की भूमि पंकज कुमार व कृष्ण कुमार के पक्ष में भूमि का उचित जरसम्मन मूल्य प्राप्त कर केबाला किया गया है. विक्रेता और उनके सभी फरिकैनों के बीच आपसी बंटवारा हो चुका है, सभी फरिकैन अपने अपने हिस्सा की जमीन खरीद, बिक्री कर रहे हैं. विक्रेता ने पूर्व में भी अपिलार्थी के पक्ष में जमीन बिक्री की थी, जिसका दाखिल खारिज होकर रसीद भी अपिलार्थी के नाम से कट रहा है. सभी कागजातों का अवलोकन करने व अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद डीसीएलआर ने निम्न न्यायालय (अंचल अधिकारी) के आदेश को 10 जून 2025 को निरस्त कर अपीलवाद को स्वीकृत कर लिया. क्रेता ने डीसीएलआर कोर्ट के आदेश के आधार पर दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया, तो सीओ ने डीसीएलआर के आदेश को खारिज कर दिया. # केस नंबर 07 # कटसरियां की माया देवी पति सत्येंद्र दूबे ने मौजा कटसरियां में खाता संख्या 05, प्लाट संख्या 277, रकबा 05 डिसमिल भूमि श्याम नारायण दूबे से खरीदगी के बाद भूमि के दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया, जिसका दाखिल खारिज वाद संख्या 3981आर 27/2023-24 है. उसे सीओ ने यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया कि पंजी-02 में खेसरावार रकबा नहीं है. 03 जून 2024 को पारित सीओ के इस आदेश से दुखी होकर क्रेता माया देवी ने अपने अधिवक्ता रमेश कुमार के माध्यम से सीओ को उत्तरवादी बनाते हुए डीसीएलआर कोर्ट में दाखिल खारिज अपीलवाद संख्या 849/2024-25 लाया गया. अपीलवाद की सुनवाई के समय अपिलार्थी के अधिवक्ता ने जमाबंदी पंजी व वंशावली प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि प्रश्नागत भूमि के जमाबंदी रैयत धर्मनाथ दूबे है. जमाबंदी रैयत के पुत्र श्याम नारायण दूबे ने माया देवी को जमीन विक्रय किया है. न्यायालय में उत्तरवादी संख्या एक के रुप में श्याम नारायण दूबे ने क्रेता के समर्थन में अपना जवाब दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया कि बिक्रीत भूमि का वाजिब जरसम्मन मूल्य प्राप्त कर मेरे द्वारा अपने हक हिस्सा की भूमि का बिक्री किया गया है, खरीदगी के दिन से ही उक्त भूमि पर क्रेता माया देवी का शांतिपूर्ण तरीके से दखल कब्जा चला आ रहा है, जो आज भी है अधिवक्ता का पक्ष सुनने व सभी कागजी सबूतों को देखने के बाद न्यायालय इस नतीजे पर पहुंचा कि सीओ के पारित आदेश को 13 जून 2025 को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए निरस्त कर दिया और अपीलवाद को स्वीकृत कर लिया. डीसीएलआर कोर्ट से प्राप्त आदेश के आलोक में जब मामा देवी ने दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया, तो सीओ ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के उस आदेश को निरस्त कर यह साबित कर दिया कि वरीय अधिकारी और उनके न्यायालय के आर्डर का कद सीओ के सामने बौना है. # बोले डीसीएलआर इस संबंध में पूछे जाने पर भूमि सुधार उप समाहर्ता कमलाकांत द्विवेदी ने कहा कि कुछ ऐसे मामले हमारे संज्ञान में आये थे, जिसमें कि मेरे न्यायालय के आदेश को तत्कालीन सीओ द्वारा निरस्त कर दिया गया है. उनसे स्पष्टीकरण किया गया था, उसका जवाब शायद आ गया है. उनको मोहनिया सीओ के पद से हटा दिया गया है. लेकिन जिन लोगों का अपीलीय न्यायालय के आदेश के बावजूद दाखिल खारिज वाद को सीओ द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया है, उन लोगों को नया अपीलवाद लाना होगा वैसे मामलों में एक तिथि पर सुनवाई कर फैसला सुना दिया जायेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
