Jehanabad : कहीं मूर्तियों को दिया जा रहा अंतिम रूप, तो कहीं सजाये जा रहे पंडाल
ुर्गा पूजा के शुभ अवसर को लेकर पूरे जहानाबाद जिले में तैयारियां जोरों पर हैं. कहीं मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रंग-रोगन और आभूषण पहनाए जा रहे हैं, तो कहीं पूजा पंडालों की सजावट का कार्य तेजी से चल रहा है.
जहानाबाद
. दुर्गा पूजा के शुभ अवसर को लेकर पूरे जहानाबाद जिले में तैयारियां जोरों पर हैं. कहीं मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रंग-रोगन और आभूषण पहनाए जा रहे हैं, तो कहीं पूजा पंडालों की सजावट का कार्य तेजी से चल रहा है. इस वर्ष महासप्तमी का शुभ मुहूर्त 28 सितंबर, रविवार को है, जब मां दुर्गा के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जायेंगे. शहर के ठाकुरबाड़ी, सब्जी मंडी और सटी मोड़ जैसे प्रमुख पूजा स्थलों पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. अब कलाकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं. ठाकुरबाड़ी में हर वर्ष की तरह इस बार भी जिले की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित की जा रही है, जहां विशाल मेला भी लगता है. कोलकाता के सुपौल निवासी मूर्तिकार, जो वर्षों से यहां प्रतिमा निर्माण कर रहे हैं, इस बार भी ठाकुरबाड़ी और सब्जी मंडी की प्रतिमाएं बना रहे हैं. वहीं सटी मोड़ पर एक विशिष्ट झांकी बनाई जा रही है, जिसमें मां दुर्गा दो महिषासुरों से युद्ध करती दिखाई देंगी एक शेर से और एक स्वयं माता द्वारा. यहां भगवान गणेश और कार्तिकेय की खड़ी हुई प्रतिमाएं, माता लक्ष्मी और सरस्वती की बैठी हुई प्रतिमाएं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा भारत माता की झांकी भी बनायी जा रही है. इस प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार टीनू पाल (सोनू) द्वारा किया जा रहा है. पूरे जिले में पंडालों का निर्माण कार्य भी जारी है. बांस-बल्लों से ढांचा तैयार कर, उस पर तिरपाल और सजावटी कपड़े लगाए जा रहे हैं. झूमर, रोलेक्स लाइट्स, एलईडी बल्बों की लड़ियां और अन्य डेकोरेटिव आइटम्स से पंडालों को रोशन किया जायेगा. पंचमहला, मलहचक, चंद्रवंशी नगर, काको मोड़, रेलवे कॉलोनी, लाल मंदिर, सदर अस्पताल गेट, काली मंदिर, थाना रोड, कुटिया और 32 भावड़िया मोड़ सहित कई अन्य स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं. कई स्थानों पर प्रतिमाएं स्थल पर ही बनाई जा रही हैं, तो कहीं बाहर से मंगायी गयी हैं. मलहचक मोड़ और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले मूर्तिकार इन दिनों अत्यंत व्यस्त हैं. यहां प्रतिमाओं का निर्माण पहले से तय बुकिंग के अनुसार किया जाता है. श्रद्धालु अपनी मनचाही आकृति और डिजाइन के निर्देश कलाकारों को पहले ही दे देते हैं. अब मूर्तियों में फिनिशिंग, रंगाई और सजावट का कार्य चल रहा है. श्रद्धालु मूर्तियों को देखने और अंतिम बदलाव के निर्देश देने के लिए कलाकारों के पास आ रहे हैं. दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक मेलजोल का प्रतीक बन चुका है. इस महापर्व को लेकर जिले भर में उत्साह का माहौल है. 22 सितंबर को कलश स्थापना के साथ पूजा की शुरुआत हो चुकी है, और अब पूरा जिला 28 सितंबर को देवी पट खुलने की प्रतीक्षा कर रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
