पगडंडी पर जिंदगी की रफ्तार, चलने के लिए दलदल ही नसीब

जिले के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों की जिंदगी कर रफ्तार पगडंडी पर चल रही है. आजादी के बाद भी लोगों के नसीब में चलने के लिए पथ नहीं बल्कि दलदल ही दलदल है.

By PANKAJ KUMAR SINGH | August 24, 2025 9:37 PM

खैरा. जिले के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों की जिंदगी कर रफ्तार पगडंडी पर चल रही है. आजादी के बाद भी लोगों के नसीब में चलने के लिए पथ नहीं बल्कि दलदल ही दलदल है. खैरा प्रखंड क्षेत्र के अरुणमा लबांक पंचायत के नौआटांड़, करकट्टी और बाराटांड़ गांव के लोगों की जिंदगी बरसात आते ही नारकीय हो जाती है. दशकों से सड़क की समस्या जस की तस बनी हुई है. स्वतंत्र भारत के 78 वर्ष पूरे हो गये. देश में जहां बड़े-बड़े पुल, सड़कें और योजनाएं बन रही हैं. वहीं इन तीन टोलों तक पहुंचने के लिए आज भी पगडंडी जैसी कच्ची सड़क ही सहारा है. गांव की आबादी दो हजार से ज्यादा है, लेकिन सड़क सुविधा अब तक नहीं मिल पायी है.

बरसात के मौसम में बिगड़ जाती है स्थिति

एक गांव में जहां बारिश के दौरान मौसम सुहाना हो जाता है, तो इस गांव में बरसात के दौरान आम लोगों की हालत और बिगड़ जाती हैं. गलियां और रास्ते कीचड़ से भर जाते हैं. लोगों के घरों के आगे पानी जम जाता है. हाल यह है कि इंसान तो दूर पालतू पशुओं का गुजरना भी मुश्किल हो जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि स्कूली बच्चों को सरकार ने साइकिल तो दे दी है, लेकिन यहां पैदल चलना ही कठिन है तो साइकिल कहां चलेगी. हाल में नौ अगस्त को एक महिला कालो देवी की तबीयत खराब हुई थी, लेकिन एंबुलेंस सड़क तक नहीं पहुंच सका और समय पर इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गयी. एंबुलेंस, टोटो या टेंपो किसी भी वाहन का इन टोलों में प्रवेश संभव नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि पांच पीढ़ियों से वे इस गांव में रह रहे हैं, लेकिन विकास की रोशनी आज तक यहां नहीं पहुंची.

गांव की स्थिति हो गयी है शर्मनाक

गांव के स्थानीय ग्रामीण समाजसेवी रामेश्वर ठाकुर कहते हैं कि यह स्थिति बेहद शर्मनाक है. सरकार गांव-गांव में योजनाएं लागू करने और करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, लेकिन नौआ टांड़, करकट्टी और बारा टांड़ की दशा आज भी वैसी ही है जैसी आजादी के समय थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि अब सब्र का बांध टूट चुका है और यदि जल्द सड़क का उद्धार नहीं हुआ तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.

ग्रामीणों का ऐलान- वोट नहीं देंगे, धरना देंगे

सड़क की समस्या से त्रस्त ग्रामीण अब आंदोलन के मूड में हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे वोट का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि नेता चुनाव आते ही घर-घर जाकर पैर छूकर आशीर्वाद मांगते हैं, लेकिन जीत के बाद पांच साल तक कभी हालचाल लेने नहीं आते. उनका आरोप है कि आज तक सांसद और विधायक ने सड़क के उद्धार के लिए कोई पहल नहीं की. ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि वे सामूहिक रूप से जिला मुख्यालय में एक दिवसीय धरना देंगे. इस दौरान उमेश ठाकुर, प्रदीप ठाकुर, मानमा देवी, ब्रह्मदेव यादव, द्वारिका यादव, विशन यादव, विजय यादव, तिलिया देवी, कांति देवी, सुमा देवी, गोली देवी, रूकमणि देवी, यशोदा देवी, रेणु देवी, विमली देवी और दमयंती देवी समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहेंगे. ग्रामीणों ने साफ कहा है कि जब तक सड़क नहीं बनेगी तब तक वोट भी नहीं देंगे और आंदोलन जारी रहेगा.

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