छठ महापर्व : स्वच्छता, आस्था व नियम-निष्ठा का अनुष्ठान शुरू
प्रकृति के प्रति आस्था, स्वच्छता, पवित्रता एवं नियम-निष्ठा के भाव का उदगार का महापर्व आज से आरंभ हो रहा है.
जमुई. प्रकृति के प्रति आस्था, स्वच्छता, पवित्रता एवं नियम-निष्ठा के भाव का उदगार का महापर्व आज से आरंभ हो रहा है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि की सुबह तक नदी, सरोवरों के तट पर इस महापर्व का भव्य, दिव्य एवं अलौकिक दर्शन करने का सौभाग्य मानवजाति को प्राप्त होगा. शनिवार को नहाय-खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो जायेगा. इसलिए जिले भर में चारों ओर आस्था का भव्य वातावरण निर्मित हो गया है. छठव्रती अपनी सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं. बताते चलें की लोक आस्था के इस चार दिवसीय पर्व के पहले दिन छठवर्ती पवित्र नदी, तालाब में स्नान कर व्रत का संकल्प ले नेम-नेष्ठा के साथ अरवा चावल का भात, चना दाल तथा कद्दू का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं, इसके उपरांत परिवार के अन्य सदस्य भी प्रसाद रूप में कद्दू भात ग्रहण करते हैं. पर्व के दूसरे दिन छठवर्ती पूरे दिन निर्जला उपवास रख संध्या समय पर खीर का प्रसाद बनाकर खरना पूजन कर प्रसाद ग्रहण करती हैं. पर्व के तीसरे दिन व्रती नदी तालाब किनारे पहुंच संध्याकालीन सूर्य को अर्घ्य देती है, जबकि चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व के अनुष्ठान का समापन कर पारण करती है.
ऋतु परिवर्तन से भी जुड़ा है छठ पर्व
वर्ष में दो बार छठ महापर्व के अनुष्ठान की परंपरा है, पहला चैत्र मास में, दूसरा कार्तिक मास में. कार्तिक मास के छठ के साथ शीत ऋतु का प्रभाव बढ़ने लगता है, जबकि चैती छठ के साथ ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव. इस तरह से देखें तो छठ पर्व ऋतु परिवर्तन से भी संबंधित पर्व है. ऋतु का परिवर्तन सूर्यदेव के कारण होता है और सूर्य देव की कृपा से ही ऋतु अनुसार फसलों का उत्पादन भी होता है. इसलिए भारतीय परंपरा में कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पर्व और चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है.
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