Hajipur News : भेड़ पालन से कम लागत में ज्यादा लाभ, मनोज व सुरेश बने मिसाल

किसान गाय-भैंस के साथ भेड़ पालन को अपना कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. 40 से 50 भेड़ से इसकी शुरुआत की जा सकती है. किसान कम खर्चे में भेड़ पाल कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

By SHAH ABID HUSSAIN | June 10, 2025 11:03 PM

गोरौल. किसान गाय-भैंस के साथ भेड़ पालन को अपना कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. 40 से 50 भेड़ से इसकी शुरुआत की जा सकती है. किसान कम खर्चे में भेड़ पाल कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इस कार्य के लिए सरकार भी सहायता दे रही है. भेंड़ पालने में कोई बड़ा रिस्क भी नहीं उठाना पड़ता है. यह अन्य पशुओं के पालने से काफी आसान और सुगम है. हालांकि सरकारी सुविधा मिलने के बाद भी लोग भेड़ पालने में कम ही रुचि ले रहे हैं, लेकिन जो किसान भेड़ पालन कर रहे वह अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. मालूम हो कि पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के सोरहत्था गांव के किसान मनोज राय, सुरेश कुमार भेड़ का पालन कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. किसान गाय भैंस तो पाल रहे हैं, लेकिन भेड़ का पालन इस क्षेत्र में न के बराबर ही किया जाता. भेड़ पालने से मांस, दूध के अलावे उसका बाल काफी उपयोगी माना जाता है. भेड़ पालने का कारोबार ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक संरचना से जुड़ा है. इससे हमें मांस, दूध, ऊन, जैविक खाद तथा अन्य उपयोगी सामग्री मिलती है. इनके पालन-पोषण से भेड़ पालकों को अनेक फायदें हैं. यह एक ऐसा कारोबार है जिसमे खर्च न के बराबर है. भेड़ों को केवल विभिन्न जगहों पर घुमाकर और घास फूस खिलाकर पालन किया जा सकता है. भेड़ पलकों को खाने पीने की भी व्यवस्था नही करनी पड़ती है. भेड़ पालक अन्य किसान के खेतों में भी भेड़ रखकर आय प्राप्त कर सकते है. खेतों में भेड़ रखने से जैविक खाद की प्राप्ति होती है.

प्रजनन और नस्ल :

अच्छी नस्लों की देशी, विदेशी एवं संकर प्रजातियों का चुनाव करना चाहिए. मांस के लिए मालपुरा, जैसलमेरी, मांडिया, मारवाड़ी, नाली शाहाबादी एवं छोटा नागपुरी तथा ऊन के लिए बीकानेरी, मेरीनो, कौरीडेल, रमबुये आदि का चुनाव उपयोगी माना जाता है. दरी ऊन के लिए मालपुरा, जैसलमेरी, मारवाड़ी, शाहाबादी एवं छोटा नागपुरी प्रमुख नस्ल हैं. गर्मी तथा बरसात के पहले ही इनके शरीर से ऊन की कटाई कर लेनी चाहिए. शरीर पर ऊन रहने से गर्मी तथा बरसात का बुरा प्रभाव पड़ता है. शरीर के वजन का लगभग 50 से 60 प्रतिशत मांस के रूप में प्राप्त होता है.

रोगों की रोकथाम के लिए रखना होता है ध्यान :

समय-समय पर भेड़ों के मल कृमि की जांच कराकर पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार कृमि-नाशक दवा देते रहनी चाहिए. भेड़ के रहने का स्थान स्वच्छ तथा खुला होना चाहिए. गर्मी, बरसात तथा ठंड के मौसम में बचाव बहुत जरूरी है. पीने के लिए स्वच्छ पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहना चाहिए.

क्या कहते हैं पदाधिकारी

इस क्षेत्र में भेड़ पालन बहुत ही कम लोग करते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण किसानों में जानकारी का अभाव है. भेड़ पालन गाय, भैस, बकरी पालन से कम नही है. इसमें मुनाफा भी काफी है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस व्यवसाय में लागत बहुत ही कम है और आय बहुत अधिक है. वीरेंद्र पासवान, बीएओ, गोरौल

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