श्रावणी उपाकर्म कल, जलालपुर के भट्ठा पर सरोवर में होगा सांस्कृतिक आयोजन

गोपालगंज. संस्कृति पर्वों की परंपरा से जुड़ी एक समृद्धि धरोहर है, जिनमें आध्यात्मिकता, सामाजिक भावनाएं और बौद्धिक चेतना समाहित होती हैं.

By Sanjay Kumar Abhay | August 7, 2025 5:09 PM

गोपालगंज. संस्कृति पर्वों की परंपरा से जुड़ी एक समृद्धि धरोहर है, जिनमें आध्यात्मिकता, सामाजिक भावनाएं और बौद्धिक चेतना समाहित होती हैं. श्रावणी उपाकर्म नौ अगस्त शनिवार को है. इस दिन को भगवान शिव के पृथ्वी पर भ्रमण का अंतिम दिन के रूप में मनाया जाता है. श्रावणी पूर्णिमा के दिन जब चंद्र अपनी संपूर्ण कलाओं और सहस्रों शीतल रश्मियों से संसार को आच्छादित कर देते हैं और मां महालक्ष्मी पाताल लोक के राजा बलि के यहां से बलि को रक्षासूत्र बांधकर अपने पति श्रीहरि विष्णु को मुक्त करा लेती हैं. तो भगवान शिव मां शक्ति और गणों के साथ कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान करते हैं. श्रावणी पूर्णिमा ऐसा ही एक पर्व है जो जनेऊधारी ब्राह्मणों के लिए उपाकर्म वेदों, संस्कृति और सामाजिक परंपराओं का संगम है. यह पर्व हमें आत्मशुद्धि, आत्मीयता और आत्मगौरव की प्रेरणा देता है. नेचुआ जलालपुर के पास भट्ठा पर सरोवर में उपाक्रम कार्यक्रम हर साल की तरह कराने का निर्णय लिया गया है. बैठक में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अयक्ष्य पं राजेंद्र पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अधिवक्ता विनय पांडेय, भोलानाथ दुबे, हरिनारायण तिवारी, पं मंजीत त्रिपाठी, हरेराम मिश्र, डॉ अभय पांडेय आदि शामिल थे.

क्या है श्रावणी उपाकर्म

वैदिक ब्राह्मणों द्वारा पूर्णिमा के मौके पर श्रावणी उपाकर्म किया जाता हैं इसलिए वैदिक ब्राह्मण गण इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी, तालाब तीर्थ या देवालय पहुंच कर हेमाद्रि संकल्प करते हैं. इस आध्यात्मिक विधान में षटकर्म, तीर्थों का आह्वाहन, संकल्प, गाय का घी, दूध, दही, गोबर और गोमूत्र (पंचगव्य) से स्नान सहित शिखा सिंचन, नवीन यज्ञोपवीत धारण के बाद श्री विष्णु का पूजन करना चाहिए.

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