पुष्प वाटिका प्रसंग में सीता-राम का मिलन प्रेम, मर्यादा और अनुशासन का प्रतीक : डॉ पुण्डरीक जी महाराज

भोरे. सिसई में आयोजित नवनिर्मित हनुमान मंदिर प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय रुद्र महायज्ञ सह श्रीरामचरितमानस कथा के पांचवें दिन संत शिरोमणि अनंत श्री से विभूषित विश्वंभर दास जी महाराज के यज्ञ में शामिल हुए.

By Sanjay Kumar Abhay | June 5, 2025 6:59 PM

भोरे. सिसई में आयोजित नवनिर्मित हनुमान मंदिर प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय रुद्र महायज्ञ सह श्रीरामचरितमानस कथा के पांचवें दिन संत शिरोमणि अनंत श्री से विभूषित विश्वंभर दास जी महाराज के यज्ञ में शामिल हुए. व्यासपीठ से काशी से आये अंतरराष्ट्रीय कथावाचक डॉ पुंडरीक जी महाराज ने भगवान श्रीराम की जनकपुर यात्रा का गूढ़ विवेचन किया. उन्होंने कहा कि श्रीराम के जीवन की पहली यात्रा में तीन पुरुष, तीन स्त्रियां और तीन धनुषों के दर्शन हुए. विश्वामित्र, जनक और परशुराम से श्रीराम का साक्षात्कार ज्ञान, वैराग्य और शक्ति का प्रतीक रहा. वहीं ताड़का, अहिल्या और सीता तीन स्त्रियों में से एक का वध, एक का उद्धार और एक का वरण किया गया. कथा में बताया गया कि ताड़का रूपी अविद्या और सुबाहु रूपी देहाभिमान को राम ने समाप्त किया. अहिल्या की निष्ठा ने उसे ईश्वर के चरण-स्पर्श से पुनर्जीवित किया. जनकपुर के लोग जो नाम और रूप को मिथ्या मानते थे, वे भी श्रीराम के दर्शन मात्र से मोहित हो गये. पुष्प वाटिका प्रसंग में सीता-राम का प्रथम मिलन हुआ, जिसे प्रेम, मर्यादा और अनुशासन का प्रतीक बताया गया. डॉ पुंडरीक जी ने कहा कि गुरु की आज्ञा ही शिष्य की आराधना है. ज्ञान और वैराग्य के साथ भक्ति का होना अनिवार्य है, तभी जीवन का यज्ञ पूर्ण होता है. मौके पर महंत वैदेही जी महाराज अयोध्या, यज्ञाचार्य पं. वीरेंद्र शुक्ल, यज्ञाध्यक्ष विद्याभूषण मिश्र, पूर्व मुखिया पति बड़े ओझा, मुख्य यजमान धनंजय मिश्र, कृष्णानंद ओझा, ध्रुवदेव उपाध्याय, डबलू तिवारी, देवकांत मिश्र, शैलेश मिश्र, जवाहिर मिश्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे.

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