Gopalganj News : सिसई हत्याकांड के बाद पटरी पर लौट रहा है बाजार, दिलों में अब भी मलाल

Gopalganj News : भोरे सिसई में हुए कैफ हत्याकांड के बाद से उपजे तनाव के बीच अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं. शुक्रवार को सिसई बाजार पूरी तरह से खुल गया और आम दिनों की तरह चहल-पहल दिखाई दी.

By GURUDUTT NATH | May 9, 2025 10:10 PM

भोरे. भोरे सिसई में हुए कैफ हत्याकांड के बाद से उपजे तनाव के बीच अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं. शुक्रवार को सिसई बाजार पूरी तरह से खुल गया और आम दिनों की तरह चहल-पहल दिखाई दी. लोग अपने रोजमर्रा के कामों में लौटते नजर आये, लेकिन इस हत्याकांड की टीस अब भी लोगों के दिलों में मलाल है.

पुलिस बल अब भी है तैनात

हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से इलाके में अब भी पुलिस बल तैनात है और माहौल पर प्रशासन की कड़ी नजर बनी हुई है. पुलिस की भारी तैनाती अब भी बनी हुई है और बाजार में आने वाले लोग सतर्कता बरत रहे हैं. बीएमपी, दंगा निरोधक दस्ता और महिला बटालियन के साथ फोर्स तैनात हैं, ताकि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में रहे.

दो प्राथमिकियां की गयी थीं दर्ज

इस हत्याकांड के बाद कैफ की मां शाहिदा खातून के बयान पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें उन्होंने आशीष यादव, बबलू यादव, हरिराम यादव, मिथलेश वर्णवाल और सोनू जायसवाल पर हत्या का आरोप लगाया है. दूसरी तरफ, आरोपितों की ओर से भी एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी, जिसमें आशीष यादव ने दावा किया कि उन पर भी हमला किया गया था. पुलिस ने दोनों पक्षों की प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

मामूली विवाद में हो गया बड़ा कांड

मंगलवार की शाम 23 वर्षीय कैफ खान की चाकू मारकर हत्या कर दी गयी थी. घटना सिसई बाजार में घटी, जहां आशीष यादव, बबलू यादव और हरिराम यादव ने कैफ पर हमला कर उसकी जान ले ली. इस हमले में कैफ के शरीर पर तीन जगह चाकू के गहरे निशान मिले, जबकि उसके सीने में चाकू को गाड़ दिया गया था. घटना के बाद तीनों आरोपित भागने की कोशिश में थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इन तीनों को घायल हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में जेल भेज दिया गया.

अहम की लड़ाई में हुई बड़ी वारदात

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि छोटी-छोटी गलतफहमियां और अहम की लड़ाई कैसे बड़े हादसों का कारण बन सकती हैं. सिसई की घटना ने न सिर्फ एक युवा की जान ली, बल्कि कई परिवारों की खुशियां भी छीन ली. इस संबंंध में बुद्धिजीवियों का यही कहना है कि यह वक्त है संभलने का और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने का ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों.

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