Gopalganj News : माह-ए-रमजान में बंदों की इबादत पर बरस रही खुदा की रहमत, रोजेदारों ने पूरा किया दूसरा रोजा
Gopalganj News : माह-ए-रमजान में हर मुसलमान का सिर सजदे में झुकता है और हाथ दुआ को उठते हैं. रोजेदार इबादत करते हैं और अल्लाह अपने बंदों पर ''रहमत'' नाजिल फरमाता है.
गोपालगंज. माह-ए-रमजान में हर मुसलमान का सिर सजदे में झुकता है और हाथ दुआ को उठते हैं. रोजेदार इबादत करते हैं और अल्लाह अपने बंदों पर ””रहमत”” नाजिल फरमाता है. इस पवित्र माह का पहला अशरा ही रहमत का होता है. अल्लाह बंदों के गुनाहों को पस्त कर नेकियां खाते में जोड़ता है.
रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया
मदरसा इस्लामिया के हाफिज नुरुल हक बताते हैं कि रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया है. पहला रहमत, दूसरा मगफिरत और तीसरे में अल्लाह अपने बंदों पर दोजख से निजात दिलाता है. उन्होंने बताया कि पहले अशरे में अल्लाह अपने बंदों पर रहमत नाजिल करता है. हर शख्स की दुआ कबूल करता है. उन्हें रोजे रखने में हिम्मत देता है.
रूह और दिल को पवित्र करता है रोजा
रमजान के महीने में हर मुसलमान अपने मन और शरीर को पवित्र रखता है. वह हर शख्स के साथ विनम्रता का व्यवहार करता है. कोशिश रहती है कि उससे कोई भी गलत कार्य न हो. रोजे में बुरी आदतों पर काबू करके अच्छे विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.
मस्जिद की आवाज पर बंद करें सहरी
उलेमाओं के अनुसार जिस मस्जिद की आवाज या अपनी घड़ी के हिसाब से सहरी करते हैं, इसी वक्त के हिसाब से इफ्तारी करनी चाहिए. ताकि रोजे का वक्त पूरा हो सके.
8 साल का याहिया सिद्दीकी रख रहा रोजा
नवादा खास गांव के रहनेवाले आठ साल का याहिया सिद्दीकी रोजा रख रहा है. उसने रमजान का दूसरा रोजा पूरा किया. नन्हे रोजेदार के परिजनों ने बताया कि पांच साल की उम्र से ही याहिया रोजा रख रहा है. बड़ों को देख कर छोटे-छोटे बच्चे अपनी जिद्द से रोजा रख रहे हैं. शाम में माता-पिता के साथ इफ्तार पार्टी में शामिल हो रहे हैं.
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