भक्ति ही भगवान को प्राप्त करने में सबसे श्रेष्ठ साधन : डॉ पुणरीक
भोरे. प्रखंड के दुबे जिगना गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ से इलाके की आबोहवा में वेद मंत्र घुल रहा है.
भोरे. प्रखंड के दुबे जिगना गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ से इलाके की आबोहवा में वेद मंत्र घुल रहा है. आचार्यों के वेद मंत्र से लोगों का तन-मन निर्मल हो रहा है. पूरे दिन यज्ञ मंडप की परिक्रमा व पूजन कर लोग पुण्य अर्जित नजर आ रहे हैं, तो देर शाम को काशी से पहुंचे अंतरराष्ट्रीय कथावाचक डॉ पुणरीक जी महाराज की कथा से निकल रहे भक्ति रस का पान लोग देर रात तक करते दिखे. उधर, ज्ञान पीठ से डॉ पुणरीक जी ने कहा कि वेद रूपी वृक्ष का पका हुआ फल है श्रीमद्भागवत. रसिक और भावुक लोग इस फल का रसास्वादन करते हैं. सूत और शौनक के संवाद से श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा का प्रारंभ हुआ. इस कथा के प्रारंभ में सूतजी महाराज से शौनकजी ने छह प्रश्न किये और पहला प्रश्न किया कि मनुष्य का कल्याण कैसे होगा. बहुत सारे प्रश्नों का समाधान करते हुए श्रीसूतजी महाराज ने बताया कि यदि मनुष्य के जीवन में भक्ति नहीं आयी, तो सारा साधन व्यर्थ है. भक्ति ही भगवान को प्राप्त करने में सबसे श्रेष्ठ साधन है. जीवन में सभी साधनों का फल है भक्ति. इसके बाद भगवान नारायण, जिन्हें लोग परमात्मा कहते हैं उनके 24 अवतारों की कथा सुनायी. इसके बाद नारद और भगवान वेदव्यास के चरित्र का वर्णन करते हुए आगे बताया कि देवर्षि नारद की प्रेरणा से व्यास ने भागवत महापुराण का प्रणयन किया और यही कथा श्रीशुकदेवजी महाराज ने राजा परीक्षित को सुनाया. मानव के जीवन के यक्ष प्रश्नों का समाधान है श्रीमद्भागवत की कथा. कथा मनुष्य जीवन की परम कल्याणकारी साधन है और परमात्मा ही कथा के रूप में इस धराधाम पर अवतरित होता है. कथा समाज की व्यवस्था को सुधारने की एक विधि है, जिसके द्वारा समाज सुधरता है. समाज में क्षमता और समरसता का संदेश है भगवान की कथा. लोग कथा पान कर धन्य हो रहे थे.
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