Gaya News : नगर निगम की आमदनी से कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल
Gaya News : आमदनी 40 करोड़, वेतन व पेंशन पर खर्च होते हैं 59 करोड़ से अधिक
गया. नगर निगम के आंतरिक स्रोत बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कदम उठाये जा रहे हैं. लेकिन, हालात अब तक कुछ खास बदल नहीं सके हैं. निगम से 15 वर्ष पहले तक होल्डिंग व अन्य टैक्स से छह से सात करोड़ रुपये एक वर्ष में आते थे. अब यहां प्राइवेट एजेंसी से टैक्स वसूली कराने पर 20-22 करोड़ रुपये पहुंच गये हैं. हालांकि, निगम को रजिस्ट्री विभाग से 15 करोड़, अन्य तरह के स्रोत से 25 करोड़ के करीब रुपये आंतरिक स्रोत के तौर एक वर्ष में मिलते हैं. यह आमदनी यहां के कर्मचारियों का वेतन भी नहीं हो सकता है. 247 स्थायी कर्मचारियों के वतन पर 12.33 करोड़ से अधिक, पेंशन पर 10.78 करोड़ से अधिक, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी पर 35.94 करोड़ से अधिक एक वर्ष में खर्च आता है. सभी को जोड़ा जाये, तो वेतन पर सिर्फ यहां का वार्षिक खर्च 59.5 करोड़ रुपये है. इस स्थिति में निगम के आंतरिक स्रोत से विकास के कामों को पूरा करने का आशा रखना ही सपना लगता है. निगम सूत्रों का कहना है कि इस बार कचरा रोड किनारे फेंकने, गोबर नदी में बहाने, मकान का मलबा सड़क किनारे रखने पर फाइन का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही निगम में चर्चा होती रही है कि निगम के खाली जमीन पर मार्केट व मॉल बनाकर किराया वसूला जाये. निगम के आंतरिक आमदनी बढ़ाने के बाद भी इसे आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. फिलहाल यह हालात दूर-दूर तक नहीं दिखते हैं. निगम में वेतन, विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार के अनुदान पर निर्भर रहना पड़ता है. बजट में पूरा खाका निगम की ओर से पेश किया गया है. सप्तम वेतन के लिए कर्मचारी भी आश लगाए बैठे हैं. विभाग का निर्देश है कि सप्तम वेतन कर्मचारियों को अपने आमदनी से ही निगम को देना होगा. सब कुछ बदलने का लिया है संकल्प दो दिन पहले ही बोर्ड की बैठक में मेयर डॉ वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान के साथ मौजूद सभी पार्षदों ने निगम के आंतरिक स्रोत बढ़ाने का संकल्प लिया है. इसके लिए कुछ खास तरह की तैयारी भी की जा रही है. इसमें शहर को बेहतर बनाने के लिए कई तरह के निर्णय भी लिये गये हैं.
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