ढूंढ़ लिया गया प्लास्टिक खाने वाली नयी बैक्टीरिया

सीयूएसबी के तकनीकी सहायक डॉ राज कुमार सरदार ने किया खोज

By KALENDRA PRATAP SINGH | December 13, 2025 5:53 PM

सीयूएसबी के तकनीकी सहायक डॉ राज कुमार सरदार ने किया खोज

गया जी. द

क्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में कार्यरत तकनीकी सहायक डॉ राज सरदार ने मध्यमभार वाले प्लास्टिक खाने वाली नयी बैक्टीरिया का खोज किया है. डॉ सरदार ने अपने शोध के माध्यम से सूक्ष्म जीव द्वारा प्लास्टिक को खाने वाली मेटाबेसिलस नीबेसिस नामक एक्सट्रिमोफिलिक बैक्टीरिया का पता लगाया है. इस अन्वेषण को डिस्कवरी स्विट्जरलैंड से फ्रंटियर्समेडीसा प्रकाशक ने उच्च मानक क्यू-वन अंतरराष्ट्रीय जर्नल फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी (इम्पैक्ट फैक्टर 4.5) में प्रकाशित किया है. इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह, कुलसचिव प्रो नरेंद्र कुमार राणा, डीन प्रो रिजवानुल हक व विभागाध्यक्ष प्रो राजेश रंजन सहित अन्य ने डॉ सरदार को बधाई व शुभकामनाएं दी है. जन संपर्क पदाधिकारी मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि गल ऑथर के रूप में डॉ सरदार ने अपने शोध में 30 दिनों के भीतर ही मेटाबेसिलस नीबेसिस नामक बैक्टीरिया की सहायता से प्लास्टिक विघटन की प्रक्रिया को 3.3 प्रतिशत तक रिकॉर्ड किया जो दर किसी अन्य शोध परिणाम की तुलना में दो गुना अधिक है. डॉ सरदार द्वारा अन्य सूक्ष्मजीव के द्वारा प्लास्टिक विघटन करीब डेढ़ प्रतिशत प्रतिमाह के दर से अधिकतम 12 प्रतिशत तक दर्ज की गयी हैं. इसी वर्ष डॉ सरदार ने दूसरे शोध मे माइक्रोकोक्कस फ्लेवस नामक जीवाणु जो 1.82 फीसदी तक प्लास्टिक अपघटना करने में सक्षम पाया था, जिसकी तुलना में ये खोज ज्यादा बेहतर हैं. मेटाबेसिलस नीबेसिस अंदरूनी मेटाबोलिक रिमॉडलिंग कर प्लास्टिक विघटन के लिए आवशयक एन्जइम्स का निर्माण करता है जिसके मदद से प्लास्टिक को विखंडित कर छोटे छोटे मोनोमर मे परिवर्तित कर देता है. इस सूक्ष्म प्लास्टिक को जीवाणु स्वयं के लिए कार्बन एवं ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग कर प्लास्टिक के आण्विक भार को कम करता है एवं बायोमास में वृद्धि करता है. भारत में करीब 10 मिलियन टन प्लास्टिक प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा है, जिसका 10 प्रतिशत भाग ही रिसायकल किया जाता है. डॉ सरदार ने यह आशा जतायी कि यह इको-फ्रेंडली अन्वेषण पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने में मील का पत्थर साबित होगा.

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