बुद्ध के वचनों से गुंजायमान रहा महाबोधि मंदिर
बुद्ध के वचनों से गुंजायमान रहा महाबोधि मंदिर
वरीय संवाददाता, बोधगया. नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स…से बोधगया की पावन भूमि गुंजायमान हुई. 11 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चैंटिंग समारोह के आठवें दिन मंगलवार को म्यांमार के भिक्खु संघ ने विनयपिटक की चुनिंदा गाथाओं का सामूहिक पाठ किया. सुबह सात बजे से ही महाबोधि मंदिर परिसर में म्यांमार के सैकड़ों भिक्खुओं ने एक साथ स्वर मिलाकर विनयपिटक के उन सूक्तों का निनाद किया, जिनमें भगवान बुद्ध ने संघ की शुद्धता, अनुशासन और सदाचार पर बल दिया है. गहरे भगवा वस्त्रों में लिपटे भिक्खु एक लय में पाठ करते रहे. जब “ये ते भिक्खू अप्पिच्छा सन्तुट्ठा…” जैसी पालि गाथाएं गूंज उठीं, तो लगा मानो समूचा आकाश भी बुद्ध वचनों से कंपायमान हो रहा हो. महाबोधि मंदिर के प्रांगण में उपस्थित हजारों श्रद्धालु भाव-विभोर होकर हाथ जोड़कर खड़े रहे. कई विदेशी यात्री आंखें बंद करके उस दिव्य निनाद को अपने हृदय में उतारते नजर आएं. विनयपिटक पाठ के बाद कालचक्र मैदान में दोपहर बाद भव्य सांस्कृतिक-सम्मान समारोह का आयोजन हुआ. बौद्ध भिक्खुओं व विद्वानों को किया सम्मानित थाईलैंड, श्रीलंका, म्यांमार, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, कोरिया, जापान, भूटान, मंगोलिया, बांग्लादेश, नेपाल, तिब्बत, रूस और भारत सहित कुल 15 देशों से आये बौद्ध भिक्खुओं एवं विद्वानों को अंगवस्त्र, बुद्ध प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर लाइट ऑफ बुद्ध धम्म इंटरनेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष वांग्मो डिक्से, रिचर्ड डिक्से, आइटीसीसी अध्यक्ष भंते संघसेन, भिक्खु प्रज्ञानंद, महासचिव भिक्खु आनंद और आयोजन समिति के अन्य सदस्यों ने सभी आगंतुक भिक्खुओं का हार्दिक स्वागत किया.
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