चुनावी हलचल के बाद अब श्रद्धालुओं पर टिकी निगाहें
इस वर्ष दलाईलामा के बोधगया आगमन की नहीं है उम्मीद, दक्षिण भारत में दलाईलामा का कार्यक्रम है आयोजित
फोटो- गया बोधगया 209- महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना करने जाते श्रद्धालु फोटो- गया बोधगया 204- महाबोधि मंदिर
इस वर्ष दलाईलामा के बोधगया आगमन की उम्मीद नहीं
वरीय संवाददाता, बोधगया
चुनावी शोरगुल व हलचल के बाद अब बोधगया के लोगों की निगाहें पर्यटन सीजन पर टिक गयी है. मुख्य रूप से विदेशी श्रद्धालुओं पर आश्रित बोधगया की अर्थव्यवस्था को बल मिलने का वक्त पर्यटन सीजन को ही माना जाता है. इस दौरान यहां आयोजित होने वाले विभिन्न पूजा समारोहों में शामिल होने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के कारण यहां का कारोबार फलता-फुलता है. होटल, गेस्ट हाउस से लेकर परिवहन से जुड़े कारोबारी, रेस्टोरेंट और फुटपाथ पर माला-फोटो व मूर्तियों की दुकानें चलाने वालों की उम्मीद बोधगया के पर्यटन सीजन पर लगी होती है. सीजन में जितना ज्यादा श्रद्धालु व सैलानी बोधगया आयेंगे, उतना ही लाभ यहां के कारोबारियों को होगा. इसमें इ-रिक्शा व ऑटो चलाने वाले भी शामिल होते हैं, जिन्हें भरपूर सवारियों के होने से कमाई होती है. लेकिन, इस बीच यह जानकारी कि इस वर्ष भी दलाईलामा का आगमन बोधगया में नहीं होने वाला है और इस कारण दलाईलामा के अनुयायियों की संख्या भी बोधगया में कम देखने को मिलेगी और इससे यहां का व्यवसाय भी प्रभावित होगा. यह भी कि इस वर्ष थाइलैंड की स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं की आवाजाही भी अपेक्षाकृत सम हो सकता है. म्यांमार व अन्य देशों में भी ग्लोबल ट्रेड वार व कई देशों में युद्ध के हालात का असर दिख रहा है. इस कारण भी बौद्ध श्रद्धालुओं के साथ ही पश्चिमी देशों व रूस, युक्रेन सहित एशिया के कई देशों के सैलानियों की आवाजाही भी कम होने की उम्मीद है. फिर भी बोधगया के व्यवसायी दिसंबर से लेकर फरवरी तक यहां आने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर आशान्वित हैं और उनकी निगाहें उन पर टिकी है. गाइड एसोसिएशन के राकेश कुमार उर्फ पप्पू ने बताया कि फिलहाल तो बोधगया में श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षा के अनुरूप आने की नहीं दिख रही है, पर आने वाले दिनों में क्या स्थिति रहती है, इस पर सब कुछ निर्भर करता है.
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