राजगीर पैदल गये बौद्ध श्रद्धालु
भगवान बुद्ध के पद चिह्नें का अनुसरण करते हुए शनिवार को 13 देशों के सैकड़ों बौद्ध भिक्षुओं व श्रद्धालुओं ने जेठियन से राजगीर तक की पदयात्रा की. इस दौरान 13 किलोमीटर की दूरी में हर एक किलोमीटर पर बनाये गये शांति स्तूपों के संरक्षण के लिए सभी देश के श्रद्धालुओं ने उसे गोद लिया. पद […]
भगवान बुद्ध के पद चिह्नें का अनुसरण करते हुए शनिवार को 13 देशों के सैकड़ों बौद्ध भिक्षुओं व श्रद्धालुओं ने जेठियन से राजगीर तक की पदयात्रा की. इस दौरान 13 किलोमीटर की दूरी में हर एक किलोमीटर पर बनाये गये शांति स्तूपों के संरक्षण के लिए सभी देश के श्रद्धालुओं ने उसे गोद लिया. पद यात्रियों का जत्था रास्ते में बुद्धम् शरणं गच्छामि का भी जाप करते रहे थे. यात्रा का समापन राजगीर के वेणु वन में हुआ, जहां भिक्षुओं व श्रद्धालुओं ने बांस के पौधे लगाये.
पदयात्रा में शामिल विभिन्न वेश-भूषा में बौद्ध श्रद्धालु जेठियन से राजगीर का मार्ग मनोरम छटा बिखेर रहे थे. इससे पहले जेठियन गांव में सभी बौद्ध भिक्षुओ व श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया. पूजा-अर्चना के बाद दोपहर करीब 12:47 बजे पद यात्रा शुरू की गयी. कहा गया कि भगवान बुद्ध को बोधिसत्व की प्राप्ति के बाद राजगीर के राजा बिंबिसार ने उनको राजगीर आने का न्योता दिया था. बुद्ध ने राजगीर जाने के लिए इसी मार्ग को चुना था. जेठियन गांव में बुद्ध ने कुछ देर तक विश्रम भी किया था. अब बौद्ध धर्म के व्यापक प्रचार-प्रसार के बाद विभिन्न बौद्ध संगठनों ने यह तय किया कि बुद्ध के तय किये रास्ते का फिर से पुनरूद्धार किया जाये.
मगध क्षेत्र में स्थित बौद्ध स्थलों को संबोधि जोन के रूप में विकसित किया जाये. इसी को लेकर नव नालंदा महाविहार की पहल पर विभिन्न बौद्ध संगठनों ने यह पद यात्रा शुरू की. जेठियन में आयोजित समारोह में जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों द्वारा गाये गये स्वागत गान ‘ बुद्धम् शरणं गच्छामि’ से वातावरण बुद्धमय हो गया. विभिन्न देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं, भिक्षुओं, भिक्षुणियों के साथ ही स्थानीय लोग भी इस आयोजन में शरीक हुए. पदयात्रा में कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, बांग्लादेश, नेपाल, सिंगापुर, इंडोनेशिया, तिब्बत, श्रीलंका, वियतनाम, लाओस व इंटरनेशनल (यूरोप के देश) के भिक्षु व श्रद्धालु शामिल हुए.
विश्व शांति के लिए पूजा कल से
विश्व बंधुत्व को बढ़ावा देने व विश्व में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से सोमवार से महाबोधि मंदिर परिसर में काग्यु मोनलम चेन्मो (पूजा) का शुभारंभ होगा. 17वें ग्यालवा करमापा त्रिनले थाय दोरजे पूजा की शुरुआत सुबह साढ़े सात बजे दीप जला कर करेंगे. बोधि वृक्ष के नीचे आयोजित पूजा समारोह में भारत के विभिन्न बौद्ध मठों में रहने वाले भिक्षु, लामा व करमापा के अनुयायी भी शामिल होंगे. करमापा का प्रवचन सुनने के लिए यूरोप व एशिया के विभिन्न देशों से करमापा के अनुयायी बोधगया पहुंच चुके हैं. हालांकि, करमापा को शनिवार को बोधगया आना था पर, अब वह रविवार की दोपहर करीब तीन बजे आयेंगे.
पूजा के आयोजन को लेकर महाबोधि मंदिर परिसर को सजाया गया है. मंदिर की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गयी है. पूजा के आयोजन कार्यालय के अनुसार, सोमवार की सुबह सात बजे पूजा की शुरुआत 16 अरहत व मंजुश्री टेक्स्ट प्रेयर से होगी. इसके बाद समंतभद्र प्रार्थना व शाम तीन बजे से मंजुश्री, बोधिसत्व वे प्रेयर, अमिताभ प्रेयर, महामुद्र ऑस्पिसियस प्रेयर व बुद्ध अक्षोब्य प्रेयर के बाद महाकाल की पूजा होगी. पूजा का समापन 21 दिसंबर को होगा. इस दौरान 17वें करमापा द्वारा विभिन्न सत्रों में प्रवचन दिया जायेगा.
