वसूली एजेंटों के माध्यम से वाहनों की जबरन जब्ती अवैध, पटना हाईकोर्ट ने बैंकों पर लगाया जुर्माना

पटना हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि वसूली एजेंटों द्वारा वाहनों को जब्त करना अवैध है और उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने वाहनों को जबरन सीज करने वाले वसूली एजेंटों को अवैध करार देते हुए बैंकों पर जुर्माना लगाया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2023 6:25 PM

पटना. भारत में जैसे-जैसे ऑटो फाइनेंस कारोबार का विस्तार हुआ है, वैसे-वैसे अवैध वसूली एजेंटों का कारोबार भी फलता-फूलता गया है. ऑटो लोन की किश्त समय पर नहीं चुकाने पर कई जगहों पर दबंगई कर वाहन उड़ा ले जाते हैं, लेकिन पटना हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि वसूली एजेंटों द्वारा वाहनों को जब्त करना अवैध है और उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने वाहनों को जबरन सीज करने वाले वसूली एजेंटों को अवैध करार देते हुए बैंकों पर जुर्माना लगाया है.

बैंक जबरन गाड़ी जब्त नहीं कर सकती

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि गाड़ियों के लोन की किश्त नहीं चुकाने पर बैंक व अन्य फाइनेंस कंपनियां अपने रिकवरी एजेंटों के जरिए जबरन गाड़ी जब्त नहीं कर सकती हैं. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने ऐसा करने वाले आरोपी एजेंट एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने सभी एसपी को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि कोई रिकवरी एजेंट बिना किसी सक्षम प्राधिकार के आदेश के गिरवी पड़ी गाड़ियों को जब्त नहीं करे.

विशेष कानून सरफेसी एक्ट को अपनाएं

न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने राम अयोध्या सिंह व अन्य की तरफ से दायर पांच रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों को अगर वाहन ऋण की वसूली गाड़ियों को जब्त व नीलामी के जरिए करना है, तो वे 2002 में संसद से पारित विशेष कानून सरफेसी एक्ट को अपनाएं.

एक महीने के अंदर दें 50 हजार रुपए

न्यायमूर्ति प्रसाद ने आईसीआईसीआई बैंक सहित उत्तरवादी बने अन्य कंपनियों को आदेश दिया कि मुकदमा खर्च के तौर पर प्रत्येक रिट याचिकाकर्ता को एक महीने के अंदर 50 हजार रुपए दें. उत्तरवादी बैंकों व वित्तीय कंपनियों को यह भी निर्देश दिया कि वे रिट याचिकाकर्ताओं से बकाये लोन की 30% राशि लेकर उन्हें जब्त गाड़ी लौटायें. याचिकाकर्ताओं को यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि वो शेष 70% राशि बराबर किश्तों में जमा करेंगे. जिनकी गाड़ी नीलाम हो चुकी है, उन्हें गाड़ी की बीमा के समतुल्य राशि लौटाने का आदेश भी दिया गया है.

जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन

53 पेज के फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि लोन पर गाड़ी खरीद व उसे चलाकर खुद और परिवार का गुजारा करने वालों की उक्त गाड़ी को सक्षम प्राधिकार के आदेश के बगैर, जब्त या छीन लेना संविधान के अनु. 21 में दिये गये जीवन जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि वाहन ऋण नहीं चुकाने वाले मालिकों से वाहन लेना संविधान के तहत जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकार के खिलाफ है. ऐसे मामलों में वसूली एजेंटों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. ऐसे मामलों में बैंकों पर मुकदमा भी चलाया जा सकता है.

Next Article

Exit mobile version