Darbhanga News: दरभंगा और मधुबनी जिले में सालोंभर होगी पंजाब-हरियाणा जैसी बंपर खेती: संजय कुमार झा
Darbhanga News:जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मिथिला के विकास की राह में कल एक और ऐतिहासिक दिन था.
Darbhanga News: दरभंगा. जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मिथिला के विकास की राह में कल एक और ऐतिहासिक दिन था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मधुबनी जिले की यात्रा के दौरान पश्चिमी कोसी नहर के विस्तारीकरण, नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण की 7832 करोड़ 29 लाख रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना के कार्यों का शिलान्यास भी किया. इस परियोजना से अगले दो-तीन वर्षों में मिथिला के दो जिलों- दरभंगा और मधुबनी- में कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलेगा. पंजाब-हरियाणा की तर्ज पर सालोभर बंपर खेती होगी. साथ ही मिथिला में कोसी नदी की बाढ़ का प्रभाव भी कम होगा. इससे मिथिला के लाखों किसान परिवार खुशहाल होंगे. क्षेत्र से पलायन रुकेगा. उन्होंने मिथिला को यह ऐतिहासिक सौगात देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और इतनी बड़ी परियोजना में केंद्र की ओर से वित्तीय सहयोग देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति मिथिलावासियों की ओर से आभार जताया. संजय कुमार झा ने बताया कि पश्चिमी कोसी मुख्य नहर 91.82 किमी लंबी है, जिसमें शुरुआती 35.13 किमी नेपाल में और शेष 56.69 किमी भारत में स्थित है. इसकी मुख्य नहर एवं कुछ शाखा नहरों की लाइनिंग कराई जा चुकी है, जबकि शेष नहरें कच्ची होने के कारण क्षेत्र में पर्याप्त सिंचाई सुविधा नहीं मिल पा रही है. अब पश्चिमी कोसी नहर के विस्तारीकरण, नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण की परियोजना के तहत कुल 741 किमी लंबी नहरों की सीमेंट-कंक्रीट लाइनिंग की जाएगी. नहरें पक्की हो जाने से मधुबनी और दरभंगा जिले में रबी और खरीफ दोनों फसल सीजन में यानी सालोंभर बिना किसी रुकावट के नहरों के अंतिम छोड़ तक सिंचाई के लिए पर्याप्त जल पहुंचेगा. इससे परियोजना की वार्षिक सिंचन क्षमता बढ़ कर दो लाख 91 हजार हेक्टेयर से अधिक हो जाएगी. सिंचाई तीव्रता 135 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी. सिंचाई के लिए पर्याप्त नदी जल मिलने से क्षेत्र में कृषि उत्पादकता में व्यापक वृद्धि होगी और भूजल स्तर में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत नहरों के एक तटबंध पर कुल 338 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण भी कराया जाएगा. साथ ही नहर के दोनों ओर आवागमन के लिए 260 नये पुलों का निर्माण और 407 पुलों की मरम्मत कराई जाएगी. इससे दोनों जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन और सुगम हो जाएगा. परियोजना के तहत 558 नये रेगुलेटर्स के निर्माण और 218 की मरम्मति, 158 क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर्स के निर्माण और 127 की मरम्मति, 11 नये फॉल्स के निर्माण और 11 की मरम्मति तथा 3 प्रोटेक्शन वर्क भी शामिल हैं. बड़ी संख्या में रेगुलेटर्स एवं अन्य संरचनाओं के निर्माण से न केवल सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित होगी, बल्कि दोनों जिलों में बाढ़ के पानी का भी बेहतर प्रबंधन हो सकेगा. उन्होंने कहा कि बिहार की पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा सिंचाई योजनाएं शुरू तो की जाती थीं, लेकिन उसे पूरा कराने को लेकर कोई स्पष्ट रणनीति नहीं थी. इसी कड़ी में पश्चिमी कोसी नहर परियोजना भी दशकों से लंबित थी. वर्षों पहले जिन कुछ नहरों का निर्माण हुआ भी था, उनमें से ज्यादातर समय के साथ मृतप्राय हो गई थीं. मुख्यमंत्री ने जब मुझे जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्य करने का जिम्मा दिया, तब मैंने पश्चिमी कोसी नहर परियोजना की मृतप्राय संरचनाओं के पुनर्स्थापन और अवशेष कार्यों को पूर्ण करने की योजना पर कार्य शुरू कराया था. नहरों का पुनर्स्थापन होने से दोनों जिलों के दर्जनों गांवों में पहली बार नहर का पानी पहुंचा, जिससे किसानों में खुशी देखी गई. संजय कुमार झा ने कहा कि नवंबर 2024 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मिथिला आई थीं. बाद में वित्त मंत्री ने मधुबनी पेंटिंग की साड़ी पहन कर इस वर्ष का केंद्रीय बजट पेश किया और मिथिला को बाढ़ से सुरक्षा की योजनाओं के साथ-साथ पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिए वित्तीय सहयोग देने की भी घोषणा की थीं. फिर गत जुलाई माह में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 7832 करोड़ 29 लाख रुपये की इस परियोजना को अंतिम मंजूरी दे दी गई थी.
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