दरभंगा संसदीय क्षेत्र : इस बार नये योद्धा मैदान में, लड़ाई भी कांटे की

सतीश कुमार भाजपा के गोपाल जी ठाकुर व राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी आमने-सामने दरभंगा : अइ बेर किनको बात नइ चलतैन. बौआ दिल्ली सं मोबाइल पर कहलकै य. बाबू यो, अहां सब केकरो कहला पर वोट नइ गिरा दै जाएब. समय के देखियौ, आ विचारि क वोट गिराउ. बहेड़ा में गेहूं की कटनी कर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 26, 2019 7:47 AM
सतीश कुमार
भाजपा के गोपाल जी ठाकुर व राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी आमने-सामने
दरभंगा : अइ बेर किनको बात नइ चलतैन. बौआ दिल्ली सं मोबाइल पर कहलकै य. बाबू यो, अहां सब केकरो कहला पर वोट नइ गिरा दै जाएब. समय के देखियौ, आ विचारि क वोट गिराउ. बहेड़ा में गेहूं की कटनी कर लौट रहे नथुनी यादव की ये बातें मिथिला में मतदान की परंपरागत परिपाटी के दरकने का संकेत दे रही है. वैसाख का माह जाने को है, पर मौसम अब भी ठंडा है. दरभंगा संसदीय क्षेत्र की चुनावी लड़ाई भी गरम नहीं हो पा रही है.
दरभंगा संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को मतदान होना है. मैदान में आठ उम्मीदवार हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर कीर्ति झा आजाद जीते थे. उन्होंने राजद के अली अशरफ फातमी को करीब 35 हजार मतों के अंतर से हराया था. इस बार दोनों ही मैदान में नहीं हैं.
भाजपा के गोपालजी ठाकुर और राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी आमने-सामने हैं. बसपा प्रत्याशी मो मुख्तार मुकाबले को त्रिकोण रूप देने के लिए प्रयासरत हैं. मैदान के चिर परिचित लड़ाका रहे राजद के मो अली अशरफ फातमी पार्टी छोड़ चुके हैं. मधुबनी संसदीय क्षेत्र से बसपा के टिकट पर उन्होंने नामांकन किया, लेकिन नाम वापस लेकर घर लौट आये हैं. लगभग तीन दशक से दरभंगा में मो फातमी राजद की धुरी रहे हैं.
अब तक यहां से
सांसद
श्रीनारायण दास (कांग्रेस)
सत्यनारायण सिन्हा (कांग्रेस)
विनोदानंद झा (कांग्रेस)
ललित नारायण मिश्र (कांग्रेस)
सुरेंद्र झा सुमन (जनता पार्टी)
पं. हरिनाथ मिश्र (कांग्रेस)
विजय कुमार मिश्र (दमकिपा)
शकील-उर- रहमान (जनता दल)
मो. अली अशरफ फातमी, (जनता दल व राजद)
कीर्ति झा आजाद
(भाजपा)
(इनमें से सात संसदीय क्षेत्र के निवासी नहीं थे. श्रीनारायण दास, सुरेंद्र झा सुमन व मो. अली अशरफ फातमी स्थायी निवासी रहे हैं.)
प्रचार के लिए सभाओं पर जोर
भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में अब तक डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, लोजपा नेता चिराग पासवान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आदि की सभाएं हो चुकी हैं. करीब आधे दर्जन नेताओं का कार्यक्रम तय है. 25 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यहां सभा हुई है. राजद उम्मीदवार के पक्ष में पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सभा कर रहे हैं.
राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूर्वे की प्रेस वार्ता भी हुई है. सिद्दीकी अपने गृह क्षेत्र अलीनगर (पहले बेनीपुर) से लगातार विधायक हैं. पहली बार वे संसदीय क्षेत्र की राजनीति में उतरे हैं. गोपालजी ठाकुर भी बेनीपुर से विधायक रह चुके हैं. भाजपा में प्रखंड से लेकर जिला अध्यक्ष व प्रदेश उपाध्यक्ष तक का सफर ठाकुर ने तय किया है. यह चुनाव इनके लिए भी पहला ही है.
भांपना थोड़ा मुश्किल
दरभंगा की चुनावी राजनीति में स्थानीय जनता का मूड समझना अक्सर मुश्किल रहा है. राजीव गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर में जब पूरा देश डूब चुका था, उस समय दरभंगा में चौधरी चरण सिंह की नेतृत्ववाली दलित किसान मजदूर पार्टी को जीत मिली. विजय कुमार मिश्र सांसद बने थे. समस्तीपुर, बेगूसराय व मधुबनी में परीक्षा में नकल पर नकेल कसने से नाराज तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ नागेंद्र झा ने कश्मीर निवासी कुलपति शकील-उर-रहमान को पद से हटवा दिया था. दरभंगा की जनता इसे पचा नहीं पायी.
कांग्रेस से डॉ झा लोकसभा चुनाव में उतरे, तो स्थानीय लोगों के दबाव पर जनता दल ने डॉ रहमान को टिकट दिया. रहमान के साथ हुए अन्याय का लोगों ने बैलेट से बदला ले लिया. डॉ झा जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता को कश्मीर के एक अनाम शिक्षाविद् ने पराजित कर दिया था. दरभंगा नॉर्थ सीट से 1952 के लोकसभा चुनाव में महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह को केवटी निवासी श्रीनारायण दास से करारी हार मिली थी.
फातमी व संजय नहीं लड़ पाये चुनाव
पिछले पांच साल से चुनाव की तैयारी करने वाले निर्वतमान सांसद कीर्ति झा आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री मो अली अशरफ फातमी तथा जदयू महासचिव संजय झा बिना लड़े मैदान से बाहर हो गये. संभावित उम्मीदवार के तौर पर तीनों ने चुनाव का एजेंडा भी तय कर रखा था. पिछले एक साल में एम्स, एयरपोर्ट तथा मैथिली भाषा का मुद्दा यहां छाया रहा. कीर्ति आजाद धनबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
कई समस्याएं, पर मुद्दा तो राष्ट्रीय
चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दा गौण है. देश की सुरक्षा, संविधान को बचाने, आरक्षण, सबका विकास जैसी बातें प्रत्याशियों द्वारा की जा रही हैं. नगर में ओवरब्रिज, जलनिकासी, पेयजल, बाढ़ व सुखाड़ की समस्या पर न तो उम्मीदवार बोल रहे और न ही मतदाताओं की दिलचस्पी ही दिख रही. औझौल के मो मुश्ताक कहते हैं- वोट तो डालेंगे, पर खुलकर वे कुछ नहीं बोलते.

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