चंदा कर रेलवे हॉल्ट बना रहे ग्रामीण, रेलवे ने कहा है- स्थानीय स्तर पर करें हॉल्ट का निर्माण, तो देंगे दो ट्रेनों का ठहराव

बेनीपुर (दरभंगा) : दरभंगा-बिरौल रेल खंड स्थित नवादा में जगदंबा हॉल्ट निर्माण का काम अपने स्तर से ग्रामीणों ने शुरू कर दिया है. हाल्ट निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष कृष्णानंद झा व सचिव सह जिला परिषद सदस्य राम कुमार झा बबलू ने भूमि पूजन कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. इसके बाद आसपास के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 6, 2017 10:06 AM

बेनीपुर (दरभंगा) : दरभंगा-बिरौल रेल खंड स्थित नवादा में जगदंबा हॉल्ट निर्माण का काम अपने स्तर से ग्रामीणों ने शुरू कर दिया है. हाल्ट निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष कृष्णानंद झा व सचिव सह जिला परिषद सदस्य राम कुमार झा बबलू ने भूमि पूजन कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. इसके बाद आसपास के आधा दर्जन गांवों के लोग श्रमदान में जुट गये. जिला परिषद अध्यक्ष गीता देवी, उपाध्यक्ष ललिता झा, जिला परिषद सदस्य डॉ उग्र नारायण झा भी इसमें शामिल हुए.

पहले चरण में हॉल्ट निर्माण के प्रस्तावित स्थल तक पहुंच पथ बनाया जा रहा है. इसके बाद शेड, पेयजल, प्रकाश आदि की व्यवस्था स्थानीय लोग अपने स्तर से ही करेंगे. इसके बाद रेलवे यात्रियों को ट्रेन की सुविधा देगा. 2008 के आठ दिसंबर को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के इस खंड के उद्घाटन होने के साथ ही इस जगह पर हॉल्ट निर्माण की मांग शुरू हो गयी थी. लालू प्रसाद ने आश्वासन भी दिया था. समय बीतता गया, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई. लिहाजा क्षेत्रवासियों ने आंदोलन का रास्ता आख्तियार लिया.

सात साल पूर्व यानी 13 दिसंबर, 2010 को धरना के साथ आंदोलन आरंभ किया. 72 घंटे तक परिचालन ठप रखने, संसद के समक्ष प्रदर्शन करने का भी कोई लाभ नहीं हुआ. इसी बीच गत नौ सितंबर को समिति के शिष्टमंडल की मंडल रेल प्रबंधक के साथ वार्ता हुई. समिति के सचिव के मुताबिक, डीआरएम ने पहुंच पथ के साथ ही हॉल्ट का शेड, वहां पेयजल, प्रकाश आदि की व्यवस्था करने को कहा. उन्होंने इसके बाद ट्रेन का ठहराव दिये जाने का भरोसा दिया. इसी आलोक में समिति ने निर्माण कार्य शुरू किया है.

समिति के सचिव ने बताया कि इसमें साढ़े आठ लाख खर्च होने का अनुमान है. इसके लिए आपसी स्तर पर धन संग्रह किया जा रहा है. यहां बता दें कि जगदीशपुर एवं बेनीपुर बलहा रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी करीब 12 किलोमीटर है. लिहाजा इसके बीच की आबादी को ट्रेन सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है.

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